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शेरों के गाँव में हाथी की पदचाप

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- अनुपम कुमार, रोहिणी।
सेक्टर सात में स्थित नाहरपुर गाँव को शेरों का गाँव कहा जाता है। चुनावी मौसम आते ही गाँव में इन दिनों हाथी चिंघाड़ने लगा है। बसपा प्रत्याशी ओपी मल्होत्रा कमल देखने के बाद अब हाथी की सवारी के लिए अपनी ओर लुभा रहे हैं जबकि पंजा प्रयोग की बाट जोह रहा है।

पिछली विधानसभा तक बादली के अंदर आने वाला यह इलाका परिसीमन के बाद रोहिणी के अंदर आ गया है। इस गाँव पर वोटरों की संख्या इतनी है कि चुनाव में सबकी नजर रहती है। मौजूदा समय में इलाके के विधायक भाजपा के जयभगवान अग्रवाल हैं। गाँव के निवासियों की मानें तो उनके तीन कार्यकाल देखने के बाद भी विकास देखने को नहीं मिल रहा है।

श्रद्धानंद कॉलेज में शिक्षक टेकचंद ने बताया कि गाँव की ग्रीन बेल्ट खत्म समाप्त हो गई हैं। उस पर माल, फलैट और व्यवसायिक केन्द्र बन गए हैं। थोड़ी सी जमीन हरिजन वेलफेयर बोर्ड की बची है। मगर डीडीए और एमसीडी के झगड़े के कारण न पार्क बन पा रहा है और ना दलित कल्याण के लिए कोई अन्य प्रशिक्षण केन्द्र। गाँव के बीचोंबीच लगभग पंद्रह सोलह बीघे का जोहड़ अथवा पोखर था जिस पर दबंग लोगों का कब्जा है। टेकचंद के मुताबिक गाँव के अंदर व बाहर की सड़कें, फिरनियाँ जिन पर कुछ वर्ष पहले बसें तक निकल जाती थी, अब एबुलेंस भी जाना मुश्किल है।

बिजली के खंभे पर नंगे तार हादसा को न्योता देते हैं। वैसे तो यह भाजपा का वोट बैंक माना जाता है पर लोग एक बार भाजपा व एक बार कांग्रेस के प्रयोग से तंग आ गये हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से परिवर्तन चाह रहे इस गाँव में बसपा का जनाधार बढ़ा है। बसपा के बवाना विधानसभा सचिव राकेश कुमार के मुताबिक रोहिणी को अगर छोड़ दें तो अकेले नाहरपुर में 2003 चुनाव में बसपा के 395 वोट थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में 560 से ऊपर वोट थे। पार्षद चुनाव में 1295 वोट बसपा को मिले।

हालाँकि चुनाव नजदीक आता देख भाजपा विधायक ने फिर से कमल खिलाने के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। गाँव में 55 लाख की लागत से चौपाल बनवाई जो एक बार गिर गई, दोबारा काम चल रहा है। गलियाँ भी बनवाई जा रही हैं। (नईदुनिया)

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