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नरक चतुर्दशी एवं यम द्वितीया

हमें फॉलो करें नरक चतुर्दशी एवं यम द्वितीया
, बुधवार, 23 अक्टूबर 2013 (17:27 IST)
दीपोत्सव का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी अथवा रूपचौदस होता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के पश्चात स्नान करने वाले के वर्षभर के शुभ कार्य नष्ट हो जाते हैं। स्नान के पश्चात दक्षिण मुख करके यमराज से प्रार्थना करने पर व्यक्ति के वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं।

इस दिन सायंकाल देवताओं का पूजन करके घर, बाहर, सड़क आदि प्रत्येक स्थान पर दीपक जलाकर रखना चाहिए। पाँच दिवसीय इस पर्व का प्रमुख पर्व लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली होता है। इस दिन रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहादीपक लगाना चाहिए, जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है।

इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं चार बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे ऐसा प्रयास करें।
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कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाना चाहिए। इस दिन प्रातः जल्दी उठकर घर के द्वार पर गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे पेड़ की शाखों एवं फूलों से सजाना चाहिए व उसकी एवं गायों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मंदिरों में भगवान को छप्पन खाद्य पदार्थों का भोग लगाकर उसे प्रसाद रूप में वितरित करना चाहिए।

यम द्वितीया
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करना चाहिए। भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर उसकी आरती उतारकर एवं तिलक लगाकर उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए एवं भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को द्वव्य, वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

इस दिन भाई का अपने घर भोजन न करके बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।

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