संक्षेप में पक्षाघात से बचने के लिए चालीस वर्ष के बाद रक्तचाप, मधुमेह, कॉलेस्ट्रोल का नियमति चेक-अप कराएँ। धूम्रपान, अल्कोहल और दिमागी तनाव से बचें
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घंटी के समान होते हैं। इन्हें पहचान कर पक्षाघात को टाला जा सकता है। शरीर के किसी एक आधे हिस्से में अचानक झुनझुनी, हल्कापन महसूस होना या ताकत में कमी आना, बोली में दिक्कत आना, बार-बार चक्कर आना, अचानक ऐसा सिरदर्द होना जिसे आपने कभी जिंदगी में महसूस न किया हो। ये सारे लक्षण आने वाली दिक्कतों का आभास दिलाते हैं। ऐसी अवस्था में तुरंत न्यूरोलॉजी सलाह लेनी चाहिए।
अधिकाधिक संख्या में पुराने लकवा के मरीजों का चेक-अप के लिए आना यह साबित करता है कि जागरूकता बढ़ी है। ऐसे मरीजों को पुनर्वास संबंधी जानकारी लाभप्रद होती है। पक्षाघात के मरीजों के इलाज में पुनर्वास उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि इलाज। विकसित देशोंमें पक्षाघात के मरीजों के लिए पुनर्वास केंद्र होने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। परंतु अपने परिवेश और सामाजिक व्यवस्था में यह मुश्किल-सा जान पड़ता है। ढलती उम्र में ऐसा आघात होना दूसरों पर अचानक निर्भरता महसूस करना बहुत बड़ा मानसिक सदमा होता है। इस कारणदेखा गया है कि शुरू की गहन चिकित्सा से निकलने पर बाद की अवस्था में मरीज अवसाद में भी चले जाते हैं। इस कारण पुनर्वास पर अधिक जोर दिया जाता है।
संक्षेप में पक्षाघात से बचने के लिए चालीस वर्ष के बाद रक्तचाप, मधुमेह, कॉलेस्ट्रोल का नियमति चेक-अप कराएँ। धूम्रपान, अल्कोहल और दिमागी तनाव से बचें। इससे कम-से-कम दिमाग और हृदय के रोगों को पहचानने व टालने का प्रयास किया जा सकेगा।