स्व. इंदिरा गांधी के पोते एवं संजय-मेनका गांधी के इकलौते पुत्र वरुण गांधी वर्तमान में लोकसभा के सदस्य तथा भाजपा के जनरल सेक्रेटरी हैं। वरुण गांधी भाजपा के इतिहास में सबसे कम उम्र के जनरल सेक्रेटरी हैं।
वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को दिल्ली में हुआ था। जब वे केवल 3 महीने के थे तभी उनके पिता संजय गांधी की मृत्यु हो गई और जब वे 4 वर्ष के थे तब उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या हो गई।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा ऋषि वेल्ले स्कूल से हुई जिसके बाद ए लेबल की पढ़ाई नई दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल से हुई। इसी दौरान वे विद्यार्थी संघ के सचिव चुन लिए गए। वरुण्ा ने लॉ और इकॉनॉमिक्स की पढ़ाई लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से पूरी की। उन्होंने अपनी मास्टर डिग्री पब्लिक पॉलिसी में लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडी से पूरी की।
कई तरह के सांस्कृतिक व साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने वाले वरुण गांधी ने 20 वर्ष की आयु में ही अपनी पुस्तक 'द ऑथनेस ऑफ सेल्फ' लिखी जिसका लोकार्पण देश के कई महत्वपूर्ण नेताओं द्वारा हुआ। वे कविताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और बाहरी संबंधों के ऊपर लेख लिखते रहे।
19 वर्ष की आयु में वरुण गांधी 1999 में पहली बार अपनी मां के संसदीय क्षेत्र पीलीभीत से चुनाव में मां के साथ दिखे। वे लगातार मां मेनका के साथ चुनावी सभा व प्रचार में भाग लेते रहे और लोगों से अपनी जान-पहचान बढ़ाने लगे।
वे लोगों की नजरों में उस समय आए, जब उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 'मैं नेता नहीं हूं, जो भाषण दूं। मैं सिर्फ आपसे बात करने आया हूं।'
इसके बाद उन्होंने लोगों से उनकी भाषा में बात की और बताया कि वे उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हैं। वरुण ने उनसे बातें करते हुए बताया कि गांव वालों से सौहार्दपूर्ण रूप से बात करने से सभी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
वरुण ने 2000 में बीजेपी ज्वॉइन कर ली। वे अपनी पहचान खुद बनाना चाहते थे। वे नहीं चाहते थे कि लोग उन्हें विरासत में दी हुई परिवारिक राजनीतिक दल का नेता कहें। उन्होंने कभी नहीं सोचा कि गांधी परिवार से होने के कारण कांग्रेस या सोनिया गांधी के कारण उनकी पहचान हो।
2008 में बीबीसी से बात करते हुए वरुण ने बताया था कि वर्तमान समय में भाजपा पार्टी राष्ट्र और धर्मनिरपेक्षता की बात करती है, इसलिए मैंने भाजपा ज्वॉइन की।
2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान वे 25 वर्ष के नहीं थे इसलिए देशभर में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करते रहे और अपनी फर्राटेदार बोलने की शैली से जनता को लुभाते रहे। इसके बाद वे भाजपा की राष्ट्रीय समिति के सदस्य बन गए।
2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पीलीभीत सीट से टिकट मिला, जहां से उन्होंने पहली बार जीत हासिल की। 2010 में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने वरुण गांधी को पार्टी का भविष्य का नेता मान लिया। इसके बाद से वे उत्तरप्रदेश में भाजपा की कमान संभाल रहे हैं।
दिसंबर 2009 में सुल्तानपुर में एक आमसभा को संबोधित करते समय इतनी ज्यादा भीड़ एकत्र थी कि इससे पहले कभी भी भाजपा की रैली में इतनी भीड़ नहीं देखी गई।