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अमिताभ बच्चन : प्रोफाइल

हमें फॉलो करें अमिताभ बच्चन : प्रोफाइल
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हिंदी के प्रसिद्ध और लोकप्रिय कवि, लेखक और अध्यापक डॉ. हरिवंश राय बच्चन के बड़े बेटे अमिताभ बच्चन हिंदी फिल्म उद्योग के सबसे अधिक सफल, प्रभावी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकारों में शीर्ष स्थान पर हैं।

चार दशक से अधिक लम्बे फिल्मी करियर में ‍अमिताभ की सफलता और उनके प्रभाव को देखते हुए फ्रांसीसी फिल्मों के निर्देशक फ्रांस्वां तुफो ने उन्हें 'वन मैन इंडस्ट्री' कहा था। राजेश खन्ना और उनके बाद हिंदी फिल्मों में जो सुपरस्टारडम अमिताभ ने पाई है, कोई दूसरा कलाकार नहीं पा सका।

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर उन्हें तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। इतनी बार यह पुरस्कार दक्षिण भारत के दो सितारों कमल हासन और ममूटी ने ही हासिल किए हैं। उन्हें 14 फिल्म फेयर पुरस्कार मिले हैं। फिल्म फेयर के प्रमुख अभिनय वर्ग में उन्हें 37 रिकॉर्ड बार नामांकित किया गया है।

बच्चन ने अभिनय के अलावा प्ले बैक सिंगर, फिल्म निर्माता और टेलिविजन प्रेजेंटर का काम भी बखूबी किया है। 80 के दशक में वे कुछ समय के लिए राजनीति में भी रहे पर बाद में विवादों के चलते उन्हें इसे छोड़ दिया। उन्हें भारत सरकार पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे नागरिक अलंकरणों से सम्मानित कर चुकी है।

उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद शहर में वर्ष 1942 में 11 अक्टूबर को जन्मे अभिताभ बच्‍चन प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन के बड़े बेटे हैं। उनके छोटे भाई अजिताभ कारोबार से जुड़े हैं और विदेश में रहते हैं। उनकी मां तेजी फैसलाबाद (अब पाकिस्तान) के एक सिख परिवार से थीं जिन्हें कविता और थिएटर में गहरी दिलचस्पी थी।

हालांकि हरिवंश राय जी एक कायस्थ श्रीवास्तव परिवार से थे लेकिन उन्होंने अपना उपनाम बच्चन रख लिया था और उन्हें इसी उप नाम से जाना जाता था। यह उपनाम उनके परिवार के सभी सदस्यों के लिए उपनाम बन गया। बच्चनजी का 2003 में और तेजी जी 2007 में निधन हो गया। तेजी जी को फिल्म में काम करने के भी प्रस्ताव मिले थे, लेकिन उन्होंने घर संभालना ज्यादा जरूरी समझा। अमिताभ के करियर का चुनाव करने में भी उनकी मां का प्रभाव दिखता है क्योंकि वे चाहती थीं कि उनका बेटा जो भी करे उसमें अहम स्थान हासिल करे।

अमिताभ अभिनेत्री जया बच्चन से विवाहित हैं और उनका एक बेटा अभिषेक बच्चन और बेटी श्वेता नंदा है। अभिषेक भी विवाहित हैं और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय के पति हैं। अमिताभ ने 1969 से मृगाल सेन की फिल्म 'भुवन शोम' के लिए वॉयस नैरेटर के तौर पर शुरुआत की थी।

बाद में, उन्हें ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में पहली भूमिका मिली थी। इस फिल्म में उत्पल दत्त और जलाल आगा ने भी काम किया था। बच्चन को इस फिल्म के लिए सबसे अच्छे नवोदित अभिनेता के तौर पर पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

1973 में उन्हें पहली कारोबारी सफलता प्रकाश मेहरा की फिल्म 'जंजीर' से मिली थी और इसी वर्ष उन्होंने जया भादुड़ी से विवाह कर लिया था। इस फिल्म से उनकी छवि एक 'एंग्री यंग मैन' की बनी। उन्होंने अन्य महत्वपूर्ण फिल्मों जैसे दीवार, शोले, कभी-कभी, अमर अकबर ऐंथोनी, डॉन,‍ त्रिशूल,मि. नटवरलाल, काला पत्थर, दोस्ताना, लावारिस, शक्ति, कुली जैसी फिल्मों में काम किया।

1984 से 1987 तक वे अपने मित्र राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में आए लेकिन बोफोर्स घोटाले में उनका नाम जोड़े जाने के बाद उन्होंने 1987 में राजनीति से तौबा कर ली। इस दौरान उनकी फिल्में भी नहीं बनीं और वे फिल्मों से दूर रहे। 1988 से उन्होंने शहंशाह से फिर सफल पारी की शुरुआत की। इसके बाद हम, खुदा गवाह जैसी फिल्में कीं। कुछेक फिल्में और थीं जोकि असफल रहीं।

1996 के बाद, उन्होंने अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लि. (एबीसीएल) नाम की मनोरंजन कंपनी बनाई लेकिन यह फेल हो गई। यह उनकी बड़ी कारोबारी अ‍सफलता थी लेकिन पुराने मित्र अमर सिंह की मदद से उन्होंने अपनी स्थिति संभाली। 1996 की मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता के आयोजन में भी उनकी कंपनी को बहुत घाटा हुआ। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी। बाद में, उन्होंने अपने एक्टिंग करियर को फिर से जिंदा किया।

कुछेक असफलताओं के बाद उन्होंने मोहब्बतें, कभी खुशी कभी गम, ब्लैक जैसी फिल्में कीं। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे अभिषेक के साथ बंटी और बबली और सरकार की। इस दौर में शूटआउट एट लोखंडवाला और चीनी कम बनीं। शोले का रीमेक राम गोपाल वर्मा की आग बन कर आई और बहुत बड़ी असफलता साबित हुई। बाद में अंग्रेजी की द लास्ट लीयर और पा जैसी फिल्में आईं जिन्होंने उनकी साख को फिर से स्थापित किया।

उन्होंने एक मलयालम फिल्म में भी काम किया। 2000 से उन्होंने ब्रिटिश गेम शो के रूपांतरण 'कौन बनेगा करोड़पति' को हाथ में लिया और इसे अत्यधिक सफल बनाया जोकि आज भी टीवी पर चल रहा है।

अमिताभ की धीर गंभीर और गहरी आवाज से विश्व प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजीत रॉय इतने प्रभावित थे कि उन्होंने 1977 में अपनी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी के नैरेशन के लिए उन्हें चुना था। 2005 में ऑस्कर विजेता डॉक्यूमेंट्री 'मार्च ऑफ द पेंगुइन्स' को उन्होंने अपनी आवाज दी थी।

वर्ष 2012 में उन्होंने ओलिम्पक मशाल लेकर दौड़ लगाई थी। 2000 में उन्हें सुपरस्टार ऑफ द मिलेनियम का दर्जा मिला और 2007 में फ्रांस सरकार ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया। देश और विदेश के कई विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्ट्‍रेट देकर सम्मानित किया तो मैडम तुसो वैक्स म्युजियम में उनकी मोम की मूर्ति बनाई गई।

अमिताभ को लेकर कई किताबें, जीवनियां लिखी गई हैं लेकिन 2002 में उन्होंने खुद एक किताब -सोल करी फॉर यू एंड मी- लिखी जिसमें उन्होंने अपने जीवन और विचारों को संग्रहीत किया है।

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