जस्टिस जेएस वर्मा : प्रोफाइल
, मंगलवार, 23 अप्रैल 2013 (12:23 IST)
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जगदीश शरण वर्मा का 80 साल की उम्र गुड़गांव के मेदांता अस्पताल 22 अप्रैल 2013 को निधन हो गया। वर्मा के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जस्टिस वर्मा हमेशा अपनी बेबाकी, मुखरता और सक्रियता के कारण जाने जाते थे। पिछले वर्ष 16 दिसंबर को दिल्ली गैंगरेप के बाद कानून की समीक्षा के लिए भारत सरकार ने उनकी अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।इसका अध्यक्ष वर्मा को ही बनाया गया था। कमेटी ने एक महीने से भी कम समय अपनी 600 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही यौन अपराधों के कानून में बदलाव किए गए थे। कमेटी ने बलात्कार विरोधी कानून को कड़ा बनाने की सिफारिश की थी। उनका जन्म 18 जनवरी 1933 में मध्यप्रदेश के सतना में हुआ था। जस्टिस वर्मा की प्रारंभिक शिक्षा सतना में हुई। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की। उन्होंने 1955 में जाने-माने वकील जीपी सिंह के अधीन वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। वर्मा 1973 में मप्र हाईकोर्ट के जज और 1986 में चीफ जस्टिस बने। इसके बाद वे राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए। वे 1989 में सुप्रीम कोर्ट के जज और 1997 में भारत के चीफ जस्टिस बने। उनके द्वारा किए गए कई फैसले देश के लिए मील का पत्थर साबित हुए। जस्टिस वर्मा ने 1990 के बाद से करीब 470 अहम मुद्दों पर अपना फैसला दिया। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। (वेबदुनिया)