पन्ना नेशनल पार्क में मिलेंगे बाघ
मप्र का पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
मध्य प्रदेश का पन्ना केवल नायाब हीरों की खानों के लिए ही नहीं बल्कि बाघ सरंक्षण के केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है। यदि आप भी जंगलों में सैरसपाटा करने के शौकीन हैं तथा वन्य जीवन को करीब से देखना चाहते हैं तो आपका स्वागत है म.प्र. के पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में। यहाँ आपको देश में विलुप्ति की कगार पर खड़े बाघ शान से चहलकदमी करते दिखाई देंगे। भारत के टाईगर रिर्जव प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भी है। बाघों के बचाव अभियान के तहत हाल ही में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान तथा कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से एक-एक बाघिन को पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया है। कला प्रेमी व प्रकृति प्रेमियों को एक बार अवश्य पन्ना जाना चाहिए क्योंकि यहाँ से आप खजुराहो जा सकते हैं, जहाँ के मंदिर भारतीय कला शिल्प की नायाब धरोहर है। इसी के साथ ही आप पन्ना में जंगली जानवरों की दिनचर्या को करीब से देखकर अपनी यात्रा को संपूर्णता प्रदान कर सकते हैं। पन्ना नेशनल पार्क म. प्र. के छतरपुर जिले में स्थित है। कला व शिल्प की नगरी खजुराहो से इसकी दूरी 57 किमी है। यह पार्क लगभग 543 स्क्वेयर किमी के क्षेत्र में फैला है। पन्ना नेशनल पार्क के मुख्य आकर्षण बाघ, चौसिंगा हिरण, चिंकारा, सांभर, जंगली बिल्ली, घड़ियाल, मगरमच्छ, नीलगाय आदि हैं। |
यह पार्क लगभग 543 स्क्वेयर किमी के क्षेत्र में फैला है। पन्ना नेशनल पार्क के मुख्य आकर्षण बाघ, चौसिंगा हिरण, चिंकारा, सांभर, जंगली बिल्ली, घड़ियाल, मगरमच्छ, नीलगाय आदि हैं।
|
|
|
पार्क से होकर गुजरने वाली नदी पार्क की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है। यहाँ नाव में बैठकर जंगली जीवों को करीब से देखने का आनंद ही कुछ होता है। पार्क के मुख्य आकर्षणों में एक आकर्षण खूबसूरत पांडव झरना है, जोकि झील में गिरता है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहाँ विश्राम किया था। इसके अलावा अन्य आकर्षणों में एक राजगढ़ पैलेस है, जो कि कला व शिल्प का अद्भुत नमूना है। इस पार्क में पक्षियों की लगभग 200 से अधिक प्रजातियाँ है, जिनमें प्रवासी पक्षी भी सम्मिलित है, जो दूरदराज के इलाकों से यहाँ आते हैं। इसके अलावा पार्क में अजगर व साँप की भी कई प्रजातियाँ निवास करती हैं।
इतिहास : इस नेशनल पार्क के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पांडव अपने वनवास के दौरान रहे थे। यह पार्क पहले के जमाने में पन्ना के राजघराने के लोगों के लिए शिकार का प्रमुख केंद्र था। आजादी के बाद इसे वाइल्ड लाइफ सेन्च्यूरी घोषित किया गया था। इसे सन 1981 में नेशनल पार्क का दर्जा दिया। वातावरण : यहाँ की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है। यहाँ गर्मियों का मौसम बहुत अधिक गर्म होता है। सर्दियों का मौसम भी बहुत अधिक ठंडा होता है। जुलाई से प्रारंभ होकर मानसून यहाँ सितम्बर के मध्य तक चलता रहता है। पन्ना नेशनल पार्क आने के लिए नवबंर से अप्रेल माह के बीच का समय उपयुक्त होता है। |
कला प्रेमी व प्रकृति प्रेमियों को एक बार अवश्य पन्ना जाना चाहिए क्योंकि यहाँ से आप खजुराहो जा सकते हैं, जहाँ के मंदिर भारतीय कला शिल्प की नायाब धरोहर है। साथ ही आप पन्ना में जंगली जानवरों को करीब से देखकर अपनी यात्रा को संपूर्णता प्रदान कर सकते हैं। |
|
|
ऐसे उठाएँ लुत्फ : किसी भी नेशनल पार्क का लुत्फ उठाने के लिए सफारी सबसे बेहतर होती है। यहाँ आपको सफारी पहले से बुक कराना होती है ताकि आपको वहाँ पहुँचने पर बेवजह विलंब ना हो। यदि आप रोमांच से भरी यात्रा करना चाहते हैं तो एक बार यहाँ की नाईट सफारी का अवश्य लुत्फ उठाएँ। नाईट सफारी के टाइमिंग शाम को 6:30 से 10:30 तथा रात्रि में 2:50 से 5:30 होते हैं।
ठहरने के लिए स्थान :
पन्ना नेशनल पार्क में ट्री हाउसेस व टूरिस्ट लॉज ठहरने के लिए बेहतर स्थान है परंतु अधिकांश पर्यटक मंडला में विश्राम करते हैं। आप चाहें तो खजुराहो में विश्राम कर दिन भर पन्ना नेशनल पार्क की सैर कर शाम को पुन: खजुराहो लौट सकते हैं।
सड़क मार्ग से दूरी :
पन्ना से खजुराहो की दूरी - 57 किमी
पन्ना से भोपाल की दूरी - 727 किमी
पन्ना से दिल्ली की दूरी - 889 किमी
वायुमार्ग :
खजुराहो से - दिल्ली, मुंबई और वाराणासी के लिए डेली फ्लाइट सुविधा।
रेलमार्ग : पन्ना से सतना 90 किमी की दूरी पर स्थित है। यह सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे से जुड़ा है। यहाँ से आपको कई महानगरों के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएगी।
कुछ और जानकारियाँ :
* पार्क देखने के लिए अधिकांश सफारी आपको मंडला गाँव से आसानी से मिल जाएगी।
* इस पार्क को देखने के लिए एंट्री फीस 40 रुपए, आधे दिन का जीप का चार्ज 1500 रुपए, कैमरा ले जाने का चार्ज 40 रुपए (वीडियो कैमरा हो तो 200 रुपए), गाइड का शुल्क 100 रुपए, प्राइवेट वाहन एंट्री 150 रुपए, बोट का सफर 150 रुपए, हाथी की सवारी 100 रुपए तथा नाईट सफारी चार्जेस 1800 रुपए के लगभग है।
* पार्क के खुलने के आधे घंटे पहले पार्क पहुँचना बेहतर होता है।
* चटख रंगों वाले कपड़े पहनकर पार्क में न जाएँ नहीं तो मधुमक्खियाँ आपके पीछे पड़ सकती हैं।