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ब्रह्मोस से सलामी

- एम.के. सांघी

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प्रश्न :- दद्दू, सीमा पार से किए गए हाल ही के एक हमले में पाकिस्तानी सीमा पर तैनात पांच भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इससे पूर्व भी दो भारती सैनिकों के सिर पाक सैनिक बर्बरतापूर्वक काट कर ले गए थे। इन दोनों घटनाओं के संबंध में भारत सरकार मीडिया और देश की जनता के निशाने पर रही है कि उसने इन घटनाओं के संबंध में लचर रवैया अपनाते हुए पाक के विरुद्ध कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की। आज यदि गांधीजी या सुभाषचन्द्र बोस देश के सर्वोच्च नेता होते तो वे क्या कार्यवाही करते।

उत्तर : पहली बात तो यदि गांधीजी होते तो आज कश्मीर समस्या ही नहीं होती और यदि सुभाषजी होते तो पाकिस्तान ही नहीं होता। फिर भी गांधीजी घटना के तुरंत बाद घोषणा करते कि मैं पैदल यात्रा करके घटना स्थल पर जा रहा हूं। साथ ही पाक के हुक्मरानों को संदेश देते कि यदि कायरता से सिर काटकर या जान लेकर ही तुम्हारा मन भरता है तो आकर मेरा सिर काटकर मेरी जान ले लो, मगर यह दुश्मनी खत्म करो।

पूरी दुनिया का मीडिया इस न्यूज को जोर-शोर से कवर करता और पाक सरकार कूटनीतिक रूप से शर्मसार होकर बेकफुट पर आ जाती। सुभाषचन्द्र बोस पाक हुक्मरानों को संदेश देते कि हमारी सीमा पर आपकी सीमा में आपकी सीमा की और से धोखे से किए गए हमले में हमारे हर शहीद जवान को हम ब्रह्मोस मिसाइल दाग कर सलामी देने जा रहे हैं। लंबी दूरी की यह मिसाइल गलती से यदि आपकी सीमा में जाकर गिरी तो जान-माल के नुकसान लिए हम नहीं बल्की आप जिम्मेदार होंगे।

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