Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गणेशोत्सव : राष्ट्र चेतना का पर्व

- गोविंद बल्लभ जोशी

हमें फॉलो करें गणेशोत्सव : राष्ट्र चेतना का पर्व
ND

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के सिद्धि विनायक स्वरूप का पूजन होता है। शास्त्रों की मान्यता अनुसार इस दिन गणेश जी दोपहर में अवतरित हुए थे। इसीलिए यह गणेश चतुर्थी विशेष फलदायी बताई गई है। इसी कारण सारे देश में यह पर्व गणेशोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है।

भारत वर्ष में यह पर्व प्राचीन काल से ही हिंदू परिवारों में मनाया जाता है लेकिन सम्मिलित रूप से इसकी विराटता को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों की हुकूमत से मुक्ति के लिए महाराष्ट्र में जनमानस को जागृत करते हुए राष्ट्रचेतना का पर्व बना दिया था। इसी कारण आज गणेशोत्सव देश-विदेश में भारतीय उत्सव गौरव का प्रतीक बन चुका है।

देश के प्रत्येक प्राँत में भारतवासी रहते हैं। अतः यह कहा जाता है कि भारत की विविध संस्कृतियों का दर्शन किया जाता है। जहाँ देश के प्रत्येक प्राँतों में मनाए जाने वाले उत्सवों की समय-समय पर धूम बनी रहती है। इसमें वैदिक सनातन पूजा पद्धति से अर्चना के साथ-साथ अनेक लोक सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम भी होते हैं जिनमें नृत्यनाटिका, रंगोली, चित्रकला प्रतियोगिता, हल्दी उत्सव आदि प्रमुख होते हैं।

गणेशोत्सव में प्रतिष्ठा से विसर्जन तक विधि-विधान से की जाने वाली पूजा एक विशेष अनुष्ठान की तरह होती है जिसमें वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों से की जाने वाली पूजा दर्शनीय होती है। महा आरती और पुष्पांजलि का नजारा देखने योग्य होता है।

webdunia
ND
गणेश का तात्पर्य है गणों के ईश अर्थात्‌ देवधिदेव महादेव ने समस्त देवगणों के अध्यक्ष के रूप में जिसे मान्यता दी है वही गणेश है। गणेश जी की आकृति का इस अध्यक्ष पद के साथ एक निराला ही अर्थ प्रकट होता है। किसी राष्ट्र या समूह के अध्यक्ष के पास कुछ ऐसी योग्यताएँ होनी चाहिए ताकि वह समाज को सुरक्षित रख सकें। गणेश जी को गजानन कहते हैं इसका संकेत है हाथी की तरह धैर्यवान और बुद्धिमान होना पड़ेगा।

गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहते हैं। अतः इसके प्रतीक के रूप में उनके हाथ में परशुदंड भी है। अतः राष्ट्र पर आने वाले विघ्नों को दूर करने के लिए राजदंड सैन्य भक्ति बहुत प्रबल होनी चाहिए। गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं। अतः राष्ट्र में सुख-संपदा धन-धान्य की कमी न होने पाए। इस प्रकार अनेक भावों को अपने में पिरोए हुए है गणेशोत्सव का पर्व।

यदि गणेश चतुर्थी का दिन रविवार या मंगलवार हो तो इसे महाचतुर्थी का योग कहा जाता है लेकिन इस तिथि को चन्द्र दर्शन करना वर्जित है। श्रीमद्भागवत्‌ में कथा आरती है। इस दिन चाँद देखने से भगवान कृष्ण को मिथ्या कलंक का दोष लगा था। साथ ही भगवान ने विधिवतः गणेश चतुर्थी व्रत कर कलंक से मुक्ति पाई। भविष्य पुराण में इस तिथि को शिवा, शांत और सुखा चतुर्थी भी कहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi