गणेश चतुर्थी पर पार्थिव गणेश का पूजन किया जाता है। किसी भी पवित्र स्थान की मृत्तिका यानी मिट्टी 'ॐ गं गणपतये नम:' जपते हुए खनन करें। कंकर इत्यादि निकालकर श्री गणेश की प्रतिमा मंत्र पढ़ते हुए बनाएं।
प्रतिमा बन जाने के बाद तांबे के पात्र में स्थापित कर लाल रंग के वस्त्र पर स्थापना करें तथा विधिवत पूजन करें। लड्डू, मोदक, दूर्वा, ईख इत्यादि का नैवेद्य लगाकर मंत्र जाप करें। संभव हो तो यथाशक्ति हवन भी करें।
गणेश अथर्वशीर्ष की विशेष महत्ता है। श्री गणेश की प्राण-प्रतिष्ठा, अभिषेक इत्यादि में इसका पाठ किया जाता है। यदि उच्चारण शुद्ध कर सकें तो इसका प्रयोग अधिक लाभदायक होगा।