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विभिन्न मतानुसार गणेश स्थापना के मुहूर्त

वर्षों बाद तीज-चतुर्थी एक साथ

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चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के जन्म के बाद उनकी सूरत देखकर चंद्र ने उपहास किया था, जिस पर गणेशजी ने चंद्रमा को श्राप दिया था। श्राप देते हुए गणेशजी ने कहा था कि इस दिन जो चंद्रमा को देखेगा वह कष्टों से घिर जाएगा, लेकिन इस बार तीज और चतुर्थी होने से चंद्रदर्शन दोषमुक्त रहेगा। पुराणों में उल्लेखित है कि इसी दिन भगवान कृष्ण को सामंतक मनी चोरी का दोष लगा था, जिसे सत्राजित ने चोरी किया था।

इस वर्ष तिथियों की घट-बढ़ में भादो मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन अजब संयोग बन रहा है, जिसमें महिलाओं का प्रमुख पर्व तीज और गणेश चतुर्थी एक साथ मनाया जाएगा। दूसरे दिन ऋषिपंचमी होने के कारण महिलाओं को दो दिन लगातार व्रत रहना पड़ेगा। उदयातिथि के कारण तीज 23 अगस्त को प्रातः 9.39 बजे तक रहेगी। तत्पश्चात गणेश चतुर्थी का आगमन होगा।

ज्योतिषियों के अनुसार यह संयोग अति पुण्यदायी है, जिसमें जातक को हर कामना की सिद्धि प्राप्ति होगी। इससे पहले यह संयोग 29 अगस्त 1995 मंगलवार को पड़ा था।

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संयोग के चलते इस बार शंकर-पार्वती के पहले गणेशजी की स्थापना कर पूजन किया जाएगा। तीज व्रत में महिलाएँ पति की दीर्घायु के लिए शंकर-पार्वती का विशेष तौर पर पूजन करती हैं। इसके बाद ही भगवान गणेश की स्थापना की जाती है।

ज्योतिषाचार्य पं. कुंवरकांत झा के अनुसार 22 अगस्त को द्वितीया तिथि पूर्वान्ह 11.16 बजे तक रहेगी उसके बाद तीज तिथि शुरू होगी। हिन्दू पर्वों में उदयातिथि मान्य होने के कारण तीज व्रत 23 अगस्त को शुरू होगा।

पं. कामता तिवारी के अनुसार तीज और चतुर्थी का यह संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है। हस्त नक्षत्र में दोनों का आगमन होने से किसी भी प्रकार का नया कार्य किया जा सकता है। कथा वाचक पं. उमेश भाई जानी के अनुसार गणेश स्थापना के लिए दोपहर 1.30 से 3 बजे तक शुभ मुहूर्त एवं शाम 5.45 से रात्रि 10.15 बजे तक शुभ, अमृत एवं चल चौघड़िया मुहूर्त है। हालाँकि इस दिन शाम 6.01 से रात्रि 11.13 बजे भद्रा रहेगी, लेकिन गणेश स्थापना होने से इसका किसी प्रकार का प्रभाव नहीं रहेगा।

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