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नववर्ष का राजा मंगल

नूतन वर्ष और ग्रहों की स्थिति

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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नववर्ष का शुभारंभ मंगलवार को हो रहा है अतः वर्ष का राजा मंगल होगा, और मंगल क्रूर ग्रह होने के साथ युद्ध, अग्नि, विस्फोट आदि का कारक है। इस नववर्ष की ग्रह परिषद इस प्रकार है- मंगल को राजा का पद मिला है, तो मंत्री पद बुध को, सस्येश शुक्र है धनेश गुरु तो मेघेश मंगल, रसेश सूर्य, नीरसेश शुक्र और फलेश चंद्र के पास है। धन का रक्षक गुरु है वहीं दुर्गेश मन के कारक शीतल ग्रह चन्दमा के पास है।

मंगल वर्ष का राजा हो तो इस वर्ष अग्निकांड, प्राकृतिक आपदा, उग्रवाद, युद्ध जैसी स्थिति निर्मित होती है। शासन तंत्र में आपसी तनातनी का वातावरण बनता है। जनता रोगग्रस्त होगी एवं वर्षा की कमी महसूस होती रहेगी। मंत्री बुध के होने से स्त्रियों में ऐशो-आराम की स्थिति देखने को मिलेगी। जौ, चना, मसूर आदि अनाजों के फसलों को क्षति पहुँचती है। सस्येश शुक्र होने से गेहूँ, चावल, ईख आदि की फसलें अच्छी होती है। धनेश गुरु होने से फसल उत्तम होती है। विशेष पीली वस्तुओं की पैदावार अच्छी होती है। बादलों का स्वामी मंगल होने से कहीं कम वर्षा हो तो कहीं बाढ़ की स्थिति बनेगी, कहीं गर्मी तो कहीं शीत का प्रकोप रहेगा।

जब रसेश सूर्य हो तो दूध, घी कम मात्रा में होने से इनके भावों में वृद्धि देखने को मिलेगी। शासक वर्ग भी महँगाई से बेचैन रहेगा। नीरसेश शुक्र होने से कपूर, अगर, सुगंधित पदार्थ, सोना, मोती, वस्त्र, आभूषण महँगे होंगे। चन्द्र फलेश होने से फल-फूल उत्तम होते हैं, शासक वर्ग में न्याय के प्रति दिखावा अधिक रहेगा। कोष का स्वामी जब गुरु हो तो धन-धान्य से समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ लोगों में ईमानदारी जागृत होगी। व्यापारी वर्ग भी संतुष्टी का अनुभव करेगा। दुर्गेश चंद्र होने से रक्षा के मामलों में ढि़लाई नहीं बरतना चाहिए, रस पदार्थ, रसीले फल की पैदावार उत्तम होगी, ईख के फल में लाभ रहेगा।

आइए, देखें क्या कहते हैं नववर्ष के सितारे
नववर्ष का आरंभ 15-16 की रात्रि को 2 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है इस समय धनु लग्न 19 अंश 10 कला में होगा। ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है, लग्न में राहु नीच का व लग्न चतुर्थ भाव का स्वामी गुरु तृतीय भाव में शनि के घर में हैं। शनि द्वितीयेश होकर गुरु से षड़ाष्टक होकर कन्या राशि में दशम भाव में है। मंगल इस समय नीच का होकर गुरु से षड़ाष्टक योग में है इस कारण माओवादी व अन्य उग्रवादी हिंसक गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं। कुछ राज्य यथा झारखण्ड़, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आसाम जैसे राज्यों में हिंसक घटनाएँ घट सकती हैं।

इधर जम्मू-काश्मीर भी सरकार के लिए ‍िसरदर्द बन सकता है। अतः किसी भी प्रकार से सरकार की लापरवाही ठीक नहीं कही जा सकती। मंगल पुलिस, मिलिट्री राजनेताओं के लिए विशेष सावधानी बरतने का रहेगा। वर्षारम्भ में राहु शनि का दशम चतुर्थ स्थान में होकर चन्द्र, बुध, सूर्य, शुक्र का समसप्तक होना भी तापमान में वृद्धि के कारण प्राकृतिक आपदा का कारण बनकर भयंकर घटना को निमंत्रण दे सकता है। कहीं-कहीं संक्रामक रोग से जनहानी भी संभव है। लाख प्रयासों के बावजूद आम जनता महँगाई के मार से त्रस्त रहेगी। इस वर्ष अधिक मास भी है।

15 जून को मिथुन राशि में संक्रमण कर 23 जून को बुध एवं केतु शनि की दृष्टि में आने से व सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश से कहीं अतिवृष्टि तो कहीं सूखे के कारण अकाल की स्थिति हो सकती है। 20 जुलाई को शनि-मंगल की युति बनने से कहीं भूकम्प, समुद्री तूफान की संभावना रहेगी। इससे बाहरी देश यथा अमेरिका, जापान, अफगानिस्तान, पाक जैसे देश प्रभावित हो सकते हैं। शनि-मंगल का संबंध एक राशि पर 6 सितंबर तक चलने से कहीं न कहीं सीमा पर सैन्य कार्यवाही हो सकती है। अतः सावधानी रखना होगी।

देश में कहीं आंतरिक घटना-दुर्घटना से जन-धन की हानि संभव है। शनि-सूर्य की युति 16 सितंबर को होने से मुस्लिम राष्ट्रों के लिए कठिनाइयों भरा रह सकता है। भारत में भी कहीं-कहीं दुर्भिक्ष की स्थिति बनेगी। शासन व जनता के मध्य महँगाई के कारण रोष रहेगा।

19 अक्टूबर को शुक्ल पक्ष में शनि का उदय व शुक्र का अस्त होना आंतरिक अशान्ति का कारण बनेगा व युद्धमय स्थिति रहेगी। रक्तपात की घटना घटेगी। कुल मिलाकर पूरे वर्षभर आम जनता के कष्टों में कमी का नाम नहीं हैं। देश में अशान्ति का वातावरण ग्रहों के संकेत है।

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