हर नई चीज हमें प्रसन्नता का अहसास कराती है फिर चाहे वह पतझड़ के बाद वसंत का आगमन हो या फिर गुड़ी पड़वा के रूप में हिंदूओं के नववर्ष का प्रारंभ ही क्यों न हो। नवीनता हमें कुछ नया व पहले से बेहतर करने की प्रेरणा देती है। इस बार भी गुड़ी पड़वा के साथ हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2066 का आरंभ हो रहा है। इसका तात्पर्य यह है कि हमने समय के एक और पायदान पर कदम रखा है।
नवीनता हमेशा शुभ व मंगल का सूचक होती है। पौधों में नई कोंपलों का खिलना, घर में नववधू का आगमन, परिवार में शिशु जन्म आदि ऐसे प्रसंग है, जब नवीनता हमें सुकून व एक नई ऊर्जा देती है तथा हममें जीवन जीने की प्रेरणा भी भरती है।
आमतौर पर गुड़ी पड़वा के दिन तिल-गुड़ खिलाकर सभी का मुँह मीठा कराया जाता है। कुछ लोग इस दिन कड़वे नीम का रस पीकर हम सभी वर्ष भर आरोग्य रहने की कामना करते हैं। यदि हम इसे रस्म अदायगी मात्र न समझते हुए इसके मूल में छिपे अर्थ की बात करें तो इस रस्म का अभिप्राय यह है कि 'यह दिन इस बात का संकेत है कि अब हम खुद को बदलने की शुरुआत करनी चाहिए तथा अपने सभी बैर भूलाकर कुछ एक नया रिश्ता कायम करना चाहिए।
एक ऐसा रिश्ता, जिसमें प्यार, आत्मीयता व संवेदना के सर्वमंगल की कामना हो।' क्योंकि स्वयं के बारे में तो हर कोई सोच लेता है परंतु साल के एक दिन तो हम दूसरों के बारे में भी सोचे तथा अपने नए साल की शुरुआत ऐसी करें, जिसमें हमारे माध्यम से दूसरों का भला हो।
गुड़ी पड़वा के दिन चैत्र नवरात्र का भी प्रारंभ हो रहा है और हमारे यहाँ तो हर नए कार्य की शुरुआत करते समय सर्वोप्रथम ईश्वर का स्मरण किया जाता है। नए साल की शुरुआत यदि माँ शक्ति की आराधना से की जाए तो इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है। यदि आप भी अपने जीवन में नए परिवर्तन लाना चाहते हैं तथा एक आम इंसान से खास इंसान बनना चाहते हैं तो आपको भी नववर्ष की शुरुआत नए संकल्पों से करनी होगी।
नववर्ष के नव संकल्प :
* 'मैं' को भूलाकर 'हम' में जीना सीखें।
* स्वयं में सार्थक बदलाव लाने की कोशिश करें।
* जीवन के नए लक्ष्य निर्धारित करें तथा उन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रयासों की शुरुआत करें।
* मानव जीवन पाने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें।
* अपने बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें।