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एड्स : बचाव आसान, उपचार मुश्किल

सावधानी ही इस बीमारी का इलाज है

हमें फॉलो करें एड्स : बचाव आसान, उपचार मुश्किल
, बुधवार, 1 दिसंबर 2010 (17:18 IST)
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एड्स के सामान्य लक्षण खाँसी लगातार बनी रहना, चमड़ी का इंफेक्शन, हरपीज, ग्लैंड्स का बढ़ना, बार-बार दस्त लगना व ठीन न होना, गले-बगल की ग्रंथियों में सूजन आना, मुँह में खुजली होना, भूख खत्म हो जाना तथा रात में सोते समय पसीना आना आदि।

डॉक्टर लोग इसके लक्षणों को लेकर इसलिए भी भ्रम में रहते हैं, क्योंकि इस प्रकार के लक्षण टी.बी. व पेचिश, डायरिया, मलेरिया जैसी बीमारियों में भी पाए जाते हैं। जरा भी रिस्क न लेते हुए मरीज को तुरंत एचआईवी टेस्ट कराने की सलाह देना चाहिए।

एच.आई.वी.पॉजीटिव
एच.आई.वी. पॉजीटिव घोषित हो जाने का तात्पर्य है कि वह व्यक्ति एच.आई.वी. के विषाणु द्वारा संक्रमित हो गया है, परंतु उसमें एड्स के लक्षणों का विकास नहीं हुआ है।

संक्रमित व्यक्ति में एड्स के लक्षणों का विकास संक्रमण के 6 महीने से लेकर 10 साल तक में हो सकता है। लक्षण विकसित होने तक व्यक्ति सामान्यतः स्वस्थ दिखाई देता है पर उसके संपर्क में आने वालों को वह संक्रमित कर सकता है।

परीक्षण का तरीका
* एचआईवी एलिइजा एंटीबॉडी टेस्ट से संक्रमण को पकड़ा जा सकता है। मुख्य शहरों में यह उपलब्ध है।

* वेस्टर्न ब्लोर टेस्ट एड्स की शतप्रतिशत सही जानकारी देता है। शुरुआत के संक्रमण के लिए पी-24 कोर इंटीजेन व बच्चों में आईजीए एलिइजा ज्यादा महत्व रखता है। संक्रमण बीमारी में कब बदल सकता है, इसके सीडी-4 कोशिकाओं की संख्या का पता लगाया जाता है। सीडी-8 कोशिकाओं की अधिकता, पी-24 एंटीजेन टेस्ट, बीटा-टू आइक्रोग्लोन्यूलीन आदि परीक्षणों की मदद ली जाती है।

* एड्स के मरीज के इलाज में सीडी-4 सेल काउंट और आरएनए कॉपीज टेस्ट की जरूरत होती है। इस परीक्षणों से ही पता चलता है कि दवा कब शुरू करना है और अब यह किस अवस्था में है।

* हाइली एक्टिव एंटीरिट्रोवाइरल थेरेपी द्वारा भी एड्स का उपचार किया जाता है, लेकिन यह तरीका महंगा है, इसका खर्च लगभग 7 हजार रुपए प्रतिमाह आता है और इसे कई वर्षों तक लगातार देना होता है।

एड्स की दवाएँ
एड्स बीमारी हो जाने पर इससे छुटकारा पाने की दुनिया में अभी कोई दवा नहीं बनी है।

जो भी दवाएँ बनी हैं, वे सिर्फ बीमारी की रफ्तार को कम करती हैं, खत्म नहीं करतीं। एचआईवी के लक्षण पाए जाने पर उनका उपचार हो सकता है, ज्यादा देरी होने पर वह भी संभव नहीं रहता। व्यक्ति की मौत के बाद ही इससे छुटकारा मिलता है।

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एड्स का उपचार सभी के वश में नहीं होता, यह अत्यंत महँगा उपचार है। इसकी जाँच के परीक्षण भी अत्यंत महँगे होते हैं, जो जनसाधारण के वश के बाहर होता है।

एड्स का निदान पूरी तरह संभव नहीं हो पाया है। हाँ ऐसी दवाएँ जरूर हैं जो वायरस के बढ़ते प्रकोप की गति को धीमा कर सकें। एजेडटी, एजीकोथाइमीडीन, जाइडोव्यूजडीन, ड्राईडानोसीन स्टाव्यूडीन आदि जैसी दवाएँ बहुत महँगी हैं।

इसके अलावा न्यूमोसिस्टीस कारनाई, साइटोमेगालोवाइरस माइकोबैक्टीरियम, टोक्सोप्लाज्मा, फंगस आदि हेतु दवा उपलब्ध है। इम्यूनोमोडुलेटर प्रक्रिया भी उपयोग में लाई जा रही है।

यदि एजेडटी दवा का कोर्स एक वर्ष तक लें तो भारतीय रुपयों में एक से सवा लाख रुपए खर्च आएगा, एड्स के वैक्सीन की तो बात ही दूर है। एड्स का वैक्सीन अभी प्रयोग के दौर से गुजर रहा है और इसे बाजार में आने में कई वर्ष लगेंगे। यह वैक्सीन भी इतना सस्ता नहीं होगा कि सभी अफोर्ड कर सकें।

एड्स से सुरक्षा कैसे
देखा जाए तो एचआईवी से बचाव बहुत आसान है, जरूरत है इसे समझने की।

* अपनी पत्नी के प्रति निष्ठा रखें, असुरक्षित तथा अवैध यौन संबंधों व गुदा मैथुन से बचें। यदि आप बाहर सेक्स करते हैं तो इस काम में एक से अधिक साथी न बनाएँ।

* आप यदि दुराचारी हैं यानी अपनी पत्नी के अलावा किसी और के साथ सेक्स में लीन रहते हैं, सुन्दर-सुन्दर सोसायटी गर्ल्स देखकर अपने पर काबू नहीं रख पाते हैं तो नॉनक्सीनल-9 युक्त कंडोम का इस्तेमाल करें, जो एड्स के वायरस को नाकाम कर देता है। ध्यान रखें यह फिर भी 10 प्रतिशत असुरक्षित है। कंडोम को गलत तरीके से प्रयोग करने से वह कट-फट जाता है और वायरस आपको जकड़ लेता है। कंडोम द्वारा सेक्स करते समय आड़े-तिरछे आसन लगाकर वहाँ जबरदस्त कुश्ती न लड़ें, वरना सुरक्षा की गारंटी नहीं है।

* किसी भी प्रकार के यौन रोग की आशंका होने पर अपनी संपूर्ण जाँच कराएँ, फिर पूरा इलाज कराएँ।

* हमेशा डिस्पोजेबल सिरींज व सुइयों का इस्तेमाल करें, किसी भी सुई को एक बार वापरने के बाद दोबारा प्रयोग में न लाया जाए।

* यदि किसी को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ जाए, तो खून की एचआईवी जाँच सुनिश्चित कर लें, संतुष्ट होने के बाद ही खून किसी दूसरे के शरीर में जाने दें।

ऐसा करने से एड्स नहीं होता

* एड्स मरीज से हाथ मिलाने से।

* एड्सग्रस्त व्यक्ति के साथ उठने-बैठने से।

* एड्स के मरीज को गले लगाने से।

* मच्छर व मक्खियों के द्वारा काट लिए जाने से।

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