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फाइब्राइड : ‍महिलाओं में बढ़ती गंभीर बीमारी

हमें फॉलो करें फाइब्राइड : ‍महिलाओं में बढ़ती गंभीर बीमारी
यूटरस के अंदर बनने वाली मांसपेशियों के ट्यूमर को फाइब्राइड्स कहते हैं। यह अंगूर के आकार के हो सकते हैं और खरबूजे के आकार के भी। ये एक या अनेक भी हो सकते हैं। ज्यादातर में कैंसर होने का खतरा नहीं होता। 0.2 प्रतिशत मामलों में ही कैंसर होने की आशंका होती है।


अक्सफाइब्राइड्स हेवी ब्लीडिंग का कारण बनते हैं। फाइब्राइड्स छोटे हो या फिर यूटरस के बाहर हो तो उसमें किसी भी तरह के लक्षण नजर नहीं आएंगे। जो फाइब्राइड्स यूटरस के अंदर कैविटी में आ रहे होते हैं उनकी वजह से हेवी ब्लीडिंग होती है। इन्हें सबम्यूकस फाइब्राइड्स कहते हैं।

ऐसे बड़े फाइब्राइड्स जो यूटरस के साइज और उसकी कैविटी को बड़ा कर देते हैं हेवी ब्लीडिंग का कारण बनते हैं।


कारण 

भारत में चिकित्सकों का दावा है कि हर आठवीं महिला को फाइब्राइड की समस्या है। उनमें फाइब्राइड  के मुख्य कारण हैं.... 

फाइब्राइड उन महिलाओं को होने की संभावना अधिक होती है जो लंबे समय ‍तक दैहिक संबंध नहीं बनाती। 

फाइब्राइड उन युवतियों को अधिक होते हैं जो बड़ी उम्र तक अविवाहित रहती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि एक उम्र विशेष पर शरीर के भीतरी अंगों की अपनी जरूरत पनपती है और वह पूरी नहीं होती तो फाइब्राइड की समस्या जन्म लेती है। इसी से जुड़ा यह तथ्य है कि शरीर जब बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होने लगता है तब ढेर सारे हार्मोनल परिवर्तन होते हैं उन परिवर्तनों के अनुसार जब शरीर बच्चे को जन्म नहीं दे पाता है तो इस तरह की परेशानी सामने आती है। 

जो महिलाएं लंबे समय तक गर्भवती नहीं होती उनके पेट में इस तरह की गठानें बनने लगती हैं। 

* जिन महिलाओं को अपने पति से यौन संतुष्टि नहीं मिलती उनमें भी यह समस्या देखी गई है। 

* सबसे बड़ा कारण बदलती अनियमित जीवनशैली और तनाव है। 

फाइब्राइड्स का आकार बड़ा होने पर यह शरीर के दूसरे अंगों जैसे रेक्टम और ब्लैडर पर लगातार दबाव बनाए रखते हैं।

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यह माहवारी के समय मुश्किलें खड़ी कर देते हैं। अगर गर्भ में भ्रूण हो तो यह ट्यूमर एक तरह से उसकी जगह को भी घेर लेते हैं। इससे गर्भपात या प्रिटर्म बर्थ होने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि डिलीवरी ऑपरेशन से ही होगी। इस्ट्रोजन एक तरह से इसका भोजन है।


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लक्षण :

इसमें पीरियड्स कैंप्स और दर्द के साथ आते हैं।

ट्रीटमेंट :

अल्ट्रा साउंड या एमआरआई कराने पर फाइब्राइड्स होने की पुष्टि होती है।


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* जो युवतियां गर्भवती होना चाहती हैं उनमें फाइब्राइड्स के साइज को कम करने के लिए हारमोंस के इंजेक्शन दिए जाते हैं।

* अन्य महिलाओं में सर्जरी से फाइब्राइड्स या पूरा यूटरस निकाल सकते हैं।

* अब ऐसे नए इलाज आ गए हैं जिनमें यूटरस के साथ छेड़छाड़ किए बिना फाइब्राइड्स को निकाला जा सकता है।

* इन ट्रीटमेंट में मयोलाएसिस(लेजर रिमूवल), मयोमेक्टामी(सर्जिकल रिमूवल), यूटराइन ऑर्टरी एंबोलाइजेशन (नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट-फोम का इंजेक्शन धमनियों में दिया जाता है और फाइब्राइड्स में होने वाली ब्लड सप्लाई को काट दिया जाता है) शामिल है।

बिना सर्जरी वाले ट्रीटमेंट में रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन में हीय एनर्जी का इस्तेमाल करके ट्यूमर को नष्ट कर देते हैं। दूसरे ट्रीटमेंट में एमआरआई की मदद से अल्ट्रासाउंड सर्जरी की जाती है जो फाइब्राइड्स को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देती है।

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