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सावन में उपवास कर रहे हैं, तो ये 7 बातें जरूर पढ़ें

हमें फॉलो करें सावन में उपवास कर रहे हैं, तो ये 7 बातें जरूर पढ़ें
श्रावण मास को आस्था की दृष्ट‍ि से बेहद पवित्र माह माना जाता है और इस महीने में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ आदि के साथ-साथ व्रत-उपवास को भी महत्व दिया जाता है। अगर आप भी इस माह उपवास कर रहे हैं, तो यह 5 बातें सिर्फ आपके लिए ही हैं -  
1 सोमवार या अन्य जिस भी दिन आप उपवास करने वाले हैं, उसके दो तीन दिन पूर्व से भोजन में फल और सब्जियां ज्यादा लेनी शुरू कर दें। हां अगर श्रावण उपवास महीने भर तक रखने हैं तो इसके लिए आपको अवश्य ही विशेष तैयारी कर लेनी चाहिए।
2 श्रावण उपवास रखने के दो-तीन दिन पूर्व से ही ज्यादा अन्न खाना शुरू कर दें। उपवास से एक-दो दिन पूर्व एक वक्त रोटी, सलाद और सब्जी और दूसरे वक्त फलों का सेवन करें।
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3 अगर आप ज्यादा दिनों तक श्रावण उपवास रखने की सोच रहे हैं तो ऐसे में याद रखें कि उपवास के शुरू में तीन-चार दिनों तक भूख का अहसास होता है। ऐसी हालत में नींबू-पानी, शहद या केवल दो-तीन गिलास पानी पीने से ही पेट की क्षुधा मिट जाया करती है।
निर्जल उपवास कभी भी नहीं रखना चाहिए। याद रखें कि पानी नहीं पीने से शरीर के अन्दर मौजूद अपशिष्ट पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं जिससे शरीर अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। 
5 उपवास रखते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि उपवास काल में ज्यादा वक्त तक भूखे पेट नहीं रहना चाहिए। अगर आप उपवास काल में भोजन नहीं करते हैं तो सुबह के समय दूध जरूर पीना चाहिए। दोपहर के वक्त फल या जूस ले सकते हैं। शाम के समय चाय पी सकते हैं। रात्रि में फलों की सलाद का सेवन कर सकते हैं। अगर आप श्रावण उपवास काल में केवल एक बार भोजन कर लेते हैं तो आपको ज्यादा मात्रा में कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।
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6  उपवास काल में उपवासकर्ता का मल सूख जाता है। उपवास करने से पूर्व शंखप्रक्षालन, चौलाई त्रिफला, आंवला, पालक के सूप, नाशपाती या करेले के रस के सेवन से पेट का साफ करना ठीक रहता है। ऐसे में पेशाब में जलन, पेट में जलन, कब्ज, संक्रमण, बदबूदार पसीना आदि की समस्याएं पैदा होती हैं। एक साथ पानी न पीकर एक-एक घंटे बाद एक गिलास पानी में नींबू निचोड़कर उसका सेवन करना ठीक रहता है।
 
7 उपवास के बीच सुबह-शाम प्राणायाम करना ठीक रहता है। उपवास काल में शारीरिक और मानसिक आराम को भी पूरी तरजीह देनी चाहिए। उपवास काल में मौन व्रत रखना भी श्रेष्ठ रहता है।

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