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फल खाइए, बीमारी भगाइए

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डॉ. माजिद अलीम
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हमारे होंठों, दाँतों, जीभ एवं पूरे मुख के संपर्क में आने वाले विभिन्न आहारों में से फल सर्वाधिक नायाब और सेहत के नजरिए से महत्वपूर्ण होते हैं। फल बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के साथ-साथ तीव्र स्वास्थ्य लाभ के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विटामिनों, खनिजों तथा फाइबर से भरपूर होने के कारण कम मात्रा में खाने पर भी ये अधिक लाभ देने वाले होते हैं।

फल सामान्य जुकाम व दंतशूल से लेकर कैंसर तक के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का काम करते हैं। कारण कि वह कैलोरी (ऊर्जा), नमक एवं चर्बी तीनों में ही कम होते हैं। कहना न होगा कि मोटापे से लेकर उच्च रक्तदाब, हृदयरोग तथा अन्य कई रोग हमें इसलिए पकड़ते हैं क्योंकि हम ज्यादा नमक, चर्बी एवं कैलोरी वाला आहार लेते हैं?

लगभग सभी फलों में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर होते हैं। केला एवं पपीता ही नहीं वरन्‌ अनानास एवं पके कटहल को भी हम पेट भरने की गरज से खा सकते हैं। धूम्रपान करने वालों पर किए गए शोधों से पता चला है कि प्रति सप्ताह हर रोज या सप्ताह में पाँच दिन फल खाने वालों में फेफड़ों के कैंसर के होने का खतरा बेहद कम हो जाता है।

इसी प्रकार प्रति सप्ताह 3-4 बार फल खाने वाले धूम्रियों में कैंसर से मरने का खतरा 25 प्रतिशत तक कम हो जाता है। वह जो पूरी तरह से फलों को नहीं खाते हैं या फिर हर सप्ताह सिर्फ दो ही दिन फल खाते थे, उनमें यह खतरा 75 प्रतिशत तक पाया गया। यह भी देखा गया कि
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फल के रसों का भी यही असर था परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि फल के रस के बजाए आमतौर पर पूर्ण फल का प्रयोग बेहतर होता है। कोई यह न सोचे कि विटामिनों की गोलियाँ फलों का स्थानापन्न हो सकती हैं।

उच्च रक्तदा

ताजा फलों में सोडियम की मात्रा या तो नहीं होती है या फिर बेहद कम होती है। इसलिए मेरा बीपी बढ़ न जाए इस चिंता से दुबले हो रहे व्यक्तियों के लिए फल एक मजबूत सहारा होते हैं। एक गिलास दूध में भी 126 मिग्रा सोडियम होता है। जबकि एक नाशपाती में मात्र 01 मिग्रा और दो किलो के तरबूज में मात्र 04 मिग्रा सोडियम होता है। इससे भी बढ़कर, फलों में पोटेशियम भी होता है।

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आमतौर पर शाकाहारियों के भोजन में पोटेशियम अधिक होता है परंतु यदि वे नमक (प्रतिदिन 4 से 6 ग्राम) अधिक लेते हैं तो अधिक पोटेशियम के लाभ जाते रहते हैं। वे लोग जिनमें उच्च रक्तदाब का पारिवारिक इतिहास मौजूदा होता है उन्हें सोडियम की मात्रा को नियंत्रित रखते हुए अधिक फलों का प्रयोग करना चाहिए ताकि उनका रक्तदाब नियंत्रण में रहे।

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हृदय रोग

यह कहा जाता है कि हृदय रोग का रास्ता अधिक चर्बीयुक्त भोजन से जाता है। इसे यूँ समझा जा सकता है एक औंस आलू चिप्स से जितनी चर्बी मिलती है उतनी 9.5 पौंड चेरियों को खाने से मिलेगी। जाहिर है इतनी चेरी कोई खाएगा नहीं जबकि एक औंस आलू चिप्स खाना बेहद आसान है। इसके साथ ही फलों में पेक्टिन होता है जो हृदय रोग से बचाव देता है।

इसी प्रकार विटामिन सी युक्त फलों (आँवला, नीबू, संतरा) के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल स्तर कम रहता है। यह माना जाता है कि विटामिन सी के जरिए कोलेस्ट्रॉल का पित्त अम्लों में परिवर्तन हो जाता है जो शरीर से बाहर निकल जाता है। एक संतरे से एक वयस्क को जरूरी विटामिन सी मिल जाता है।

कैंसर

लगातार ताजा फलों के सेवन से हमें बीटा कैरोटीन मिलते हैं जो प्राकृतिक रूप से होने वाले रंजक कण होते हैं। ये अधिकतर फलों में पीली सब्जियों जैसे कद्दू में काफी होता है। कैंसर की रोकथाम से बीटा कैरोटीन सीधे-सीधे जुड़े हुए हैं। हमारा शरीर इन्हें विटामिन ए में परिवर्तित कर देता है।

मधुमेह

संकेन्द्रित शर्करा (गुड़, शकर, राब) के खाने के बाद रक्तगत शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि होती है जो मधुमेहियों के लिए खतरे का बायस होती है। लेकिन अधिक फाइबरयुक्त फलों के खाने से आँतों से ग्लूकोज के अवशोषण की दर कम हो जाती है। यही नहीं, विटामिन सी युक्त फलों को खाने से रक्तगत शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि नहीं होती है।

बढ़ते वजन पर नियंत्रण

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शरीर के वजन के बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण उस व्यक्ति में पेट के खाली होने का अहसास पैदा होना होता है। फलस्वरूप वह फिर से खाता है। इस बार-बार खाते रहने से उसका वजन बढ़ता है परंतु अधिक फाइबर वाले फल काफी देर तक पेट के भरे रहने का अहसास पैदा करते हैं। जाहिर है ऐसे में बार-बार खाने की जरूरत महसूस नहीं होती।

संतरा एवं सेब इस लिहाज से बेहतर फल हैं। बेर भी बेहतर है जिसमें प्रोटीन भी काफी होती है। चूँकि ठोस एवं अर्ध ठोस आहार के मुकाबले फल कम कैलोरीयुक्त होते हैं इसलिए वजन को घटाने एवं उसे सीमा में रखने के इच्छुकों के लिए फल सबसे विश्वसनीय दोस्त माने जा सकते हैं।

अन्य लाभ

विटामिन बी समूह में से एक फोलेसिन होता है जो रक्त के लाल कणों की परिपक्वता को सुनिश्चित करता है। इसी प्रकार विटामिन बी-6 प्रोटीन के चयापचय हेतु जरूरी होता है जो एक मध्याकार के केले में पर्याप्त होता है। घावों के शीघ्र भरने में विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साथ ही शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करता है। इस सबके दृष्टिगत हमें अपने भोजन में फलों को यथोचित स्थान देना चाहिए ताकि दीर्घायु के साथ-साथ हितायु एवं सुखाय सुनिश्चित हो सकें।

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