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विश्व आहार दिवस : 16 अक्टूबर

शुद्ध आहार : सेहत का आधार

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आगे बढ़ने की चाह और अति विकसित होने की दौड़ में हर व्यक्ति पाश्चात्य शैली को पूरी तरह से अपनाने में लगा है, चाहे वह सही हो या गलत। इसी का एक उदाहरण भारतीय खान-पान को छोड़कर पाश्चात्य शैली के खानपान को अपनाना है। फास्ट फूड, जंक फूड, बाजार के डिब्बाबंद फूड व अन्य खाद्य पदार्थों को कार्यशैली (कम शारीरिक श्रम) व अत्यधिक कार्य का बोझ (बहुत जल्दी ही अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने की चाह) के कारण लोग आसानी से अपना रहे हैं।

इसका परिणाम बहुत ही भयावह देखने में आ रहा है। जैसे कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों से ग्रसित होना। विशेष रूप से डायबिटीज व हृदय रोगों से तो कुछ सालों (2015 तक) में विश्व में भारत आगे होगा। इसके अलावा वयस्क में भी कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, आँखों की कमजोरी, जल्दी थकान, स्टेमिना कम होना जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।

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बिगड़ते खान-पान के कारण आज लोगों की सेहत पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है। 16 अक्टूबर देश भर में विश्व आहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अपनी आहार शैली को सुधारने का संकल्प लिया जा सकता है।

अब हमें आहार के प्रति हर जगह पर विशेष सतर्कता की जरूरत है। चाहे वह होटल, स्कूल, हॉस्पिटल, घर या रेस्टारेंट हों, हर जगह संतुलित आहार अवश्य मिले। बड़ी-बड़ी होटलों में हेल्दी मिनू डिश भी मिनू कार्ड में लिखे जाएँ। स्कूल में आहार विशेषज्ञ की निगरानी में ही आहार उनके वजन, उम्र व लिंग के अनुसार दिया जाए।

बच्चे राष्ट्र की नींव हैं और लगभग 20 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रसित हैं, जिसका कारण अव्यवस्थित खान-पान व कम शारीरिक श्रम है। समारोह व पार्टी में भी वैरायटी या ऑइली खाद्य पदार्थों को न बनवाकर संतुलित या हेल्थ डाइट पर ज्यादा ध्यान दें। अगर संभव हो तो आहार विशेषज्ञ से अपने बजट के अनुसार मीनू प्लान करवाएँ। इस क्षेत्र में समाज में जागरूकता नहीं आने के कई कारण हैं।

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