Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

तुलसी जैसी कोई नहीं

हमें फॉलो करें तुलसी जैसी कोई नहीं
NDND
-डॉ. जगदीश के. जोश

आयुर्वेद आयु का विज्ञान है। इसमें सभी प्रकार के पेड़-पौधों से उपचार बताया गया है। किसी के पत्ते तो किसी के फल, फूल, बीज, जड़, तना या पेड़ की छाल से उपचार किया जाता है। इस चिकित्सा में आँवला, नीम, तुलसी, बेल, बबूल, आम, जामुन, चंदन आदि प्रमुख हैं।

ऐसा ही एक पौधा है तुलसी। घर की दहलीज या आँगन में तुलसी का पौधा पूरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए उत्तम है क्योंकि यह वातावरण को शुद्ध करता है और ऑक्सीजन की मात्रा में बढ़ोतरी करता है। यह पूरे वातावरण को जहरीले कीड़ों से बचाता है। पर्यावरण की शुद्धि में तुलसी बेजोड़ पौधा है। तुलसी की स्वास्थ्यकारी गंध मच्छरों और अन्य कीटाणुओं को भगाने की शक्ति रखती है। तुलसी के पत्तों से निकली हुई गंध वातावरण को शुद्ध करती है। इसके पत्तों में अंतर्निहित तेल से निकली हुई गंध हवा में मौजूद कीटाणुओं का नाश करती है, जिससे बीमारियों की आशंकाएँ क्षीण होती हैं।

ऐसा कहा जाता है कि तुलसी में 27 खनिज होते हैं। यह वायु को कीटाणुरहित करते हुए दमा, क्षय तथा कुष्ठ जैसे रोगों के निदान के काम आती है। यह खून को साफ करती है तथा पाचन क्रिया को सशक्त बनाती है।

तुलसी की गंध के दायरे में रखी चीजें आसानी से सड़ती नहीं हैं। यहाँ तक कि मृत शरीर को भी नष्ट होने से यह रोकती है। शायद इसीलिए मृतप्रायः व्यक्ति के मुँह में तुलसी रखने की परंपरा रही है। खाद्य सामग्री और शीतल पेय पदार्थों में तुलसी रखने से उन्हें काफी समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। प्रातः समय स्नान के पश्चात तुलसी के पौधे के पास बैठने से उसकी गंध व्यक्ति के तन, मन और आत्मा को उदात्त भाव से भर देती है।

हमें तुलसी को छोटे गमलों में लगाकर घर के हर कमरे में रखना चाहिए। रात के समय गमलों को घर से बाहर खुले में रखना चाहिए। बालकनी और गलियारों में भी इसके गमले रखे जा सकते हैं।

तुलसी द्वारा कुछ घरेलू उपचार

जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी की मात्र 5 पत्तियाँ खाता है, वह कई बीमारियों से बच सकता है।

प्रातःकाल खाली पेट 2-3 चम्मच तुलसी के रस का सेवन करें तो शारीरिक बल एवं स्मरण शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ आपका व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होगा।

यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया जाए तो मलेरिया एवं मियादी बुखार ठीक किए जा सकते हैं।

तुलसी रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित करने की क्षमता रखती है।

शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

तुलसी के रस की कुछ बूँदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।

चाय बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएँ तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।

10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।

तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियाँ चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियाँ डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

रोजाना सुबह पानी के साथ तुलसी की 5 पत्तियाँ निगलने से कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों एवं दिमाग की कमजोरी से बचा जा सकता है। इससे स्मरण शक्ति को भी मजबूत किया जा सकता है।

4-5 भुने हुए लौंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खाँसी से मुक्ति पाई जा सकती है।

तुलसी के रस में खड़ी शक्‍कर मिलाकर पीने से सीने के दर्द एवं खाँसी से मुक्ति पाई जा सकती है।

तुलसी के रस को शरीर के चर्मरोग प्रभावित अंगों पर मालिश करने से दाग, एक्जिमा एवं अन्य चर्मरोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।

तुलसी की पत्तियों को नींबू के रस के साथ पीस कर पेस्ट बनाकर लगाने से एक्जिमा एवं खुजली के रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi