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सुनामी में विजेता : संतुलित उपन्यास

रहस्य, रोमांच और प्रेम की कॉकटेल

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अवनीश मिश्रा
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चर्चित कथाकार-संपादक मुशर्रफ आलम जौकी के नए उपन्यास 'सुनामी में विजेता' के शुरुआती पन्नों से गुजरते हुए यह अहसास होता है कि इस उपन्यास में इतिहास, राजनीति, विचारधारा और प्रेम के ताने-बाने में मानवीय जिजीविषा और उसकी संघर्षशीलता की कथा कही जानेवाली है। उपन्यास का समर्पण भी इसी ओर इशारा करता है, 'इंसान के लिए, जो हमेशा से विजेता रहा है।'

अहमद अली नाम का एक युवक काम की तलाश में बिहार से कोलकाता आता है। यहाँ उसकी मुलाकात सुदीप सान्याल नाम के एक नक्सली नेता से होती है। ऐसा लगता है कि यह उपन्यास नक्सलवादी आंदोलन और विचारधारा को केंद्र में रखकर आगे बढ़ने वाला है और लेखक प्रतिरोध की इस राजनीति का क्रिटीक रचने की तैयारी कर रहा है लेकिन उपन्यास इस जमीन पर ठहरने और उसे गहरा खोदने का साहस और संयम नहीं दिखाता। वह अचानक एक नई जमीन की ओर रुख कर लेता है ।

कथा नक्सलवाद से कटकर एक भूतहा खानकाह की चहारदीवारी और उसके मालिक प्रोफेसर एस (सदरुद्दीन परवेज कुरैशी) के इर्द-गिर्द सिमट जाती है। यहाँ एक रहस्यमय भूत-बंगले की भयावह दुनिया है। मकड़ी के जाले हैं, चमगादड़ों का शोर है, हैवानियत है, शैतानी मुस्कराहटें हैं। कुल मिलाकर उपन्यास के इस अंश को मुशर्रफ आलम जौकी ने तिलिस्मी कहानी में तब्दील कर देने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है।

उपन्यास के एक बड़े हिस्से में सन्‌ 2004 की सुनामी विनाश-लीला का वर्णन किया गया है। इसे एक रपट के तौर पर देखा जा सकता है। यह एक बड़ी बात है कि सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को यहाँ कथ्य का भाग बनाने की कोशिश की गई है। उपन्यास के भीतर सुनामी की तूफानी ताकत को एक प्रतीक के तौर पर लिया गया है।

एक सुनामी रूपी हलचल प्रोफेसर एस के शिष्य परवेज सान्याल के भीतर भी है लेकिन इतने लंबे-चौड़े वर्णनों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाह रहा है यह साफ नहीं होता। बड़े अफसोसजनक रूप से उपन्यास का रहस्य, रोमांच, हॉरर और देह से होते हुए प्रतिशोध की कहानी में तब्दील हो जाना, निराश करता है। यहाँ उपन्यास ने चलते-चलते बहुत सी बातों पर टिप्पणी की है।

मसलन, नक्सल आंदोलन पर यह टिप्पणी 'आप लोग नक्सलवाद के नाम पर जो करते हैं, कल से वह सब एक इंडस्ट्री का रूप ले लेगा।' ऐसी ही कुछ टिप्पणियाँ साहित्यिक पुरस्कारों, अकादमियों की राजनीति और किसी घटना को कैश कर लेने की आज की बाजारू मानसिकता पर भी की गई है।

कुल मिलाकर इसे पॉपुलर साहित्य के खाने में ही रखा जाना चाहिए। वैसे फॉर्म के स्तर पर उपन्यास में फ्लैशबैक, डायरी, रपट, मोनोलॉग आदि का संतुलन- फ्यूजन आकर्षित करता है।

पुस्तक : सुनामी में विजेता
लेखक : मुशर्रफ आलम जौकी
प्रकाशक : सामयिक बुक्स प्रकाशन
मूल्य : 400 रुपए

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