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हिन्दी की बोलियों को महत्व देगा दूरदर्शन

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प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी जवाहर सरकार ने कहा है कि दूरदर्शन अपने कार्यक्रमों में हिन्दी की बोलियों को अधिक महत्व देगा, क्योंकि हिन्दी पट्टी में उत्तर भारत की इन बोलियों ने ही हिन्दी को जीवंत भाषा बनाया है।

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उन्होंने यह भी कहा कि भोजपुरी हिन्दी की ही एक बोली है और उसमें जो मिठास है वैसी मिठास दुर्लभ है।

सरकार ने शुक्रवार शाम दूरदर्शन के कार्यक्रम 'किताबनामा' के 1 साल पूरा होने पर आयोजित एक समारोह में यह बात कही। 'किताबनामा' कार्यक्रम की 50 किस्तें पूरी हो चुकी हैं जिनमें भारतीय भाषाओं के दिग्गज लेखक भाग लेते रहे हैं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सहसंयोजिका और अंग्रेजी की चर्चित लेखिका द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में लॉर्ड मेघनाथ देसाई, गुलजार, अशोक वाजपेयी, रामचंद्र गुहा, केकी दारूवाला, भानुभारती जैसे लोग किताबों पर चर्चा कर चुके हैं।

सरकार ने तंत्र में सृजनात्मकता को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए कहा कि सृजनात्मकता को नहीं विकसित किए जाने के कारण ही व्यवस्था में विध्वंसात्मकता बढ़ जाती है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी और कवि अशोक वाजपेयी ने समाज और मीडिया में साहित्य और कलाओं को लेकर सिकुड़ती जगह पर गहरी चिंता व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि भारत सांस्कृतिक और धार्मिक बहुलता की दृष्टि से दुनिया का सबसे समृद्ध देश है। यहां करीब 700 बोलियां और भाषाएं हैं। अकेले हिन्दी में 45 बोलियां हैं, जो अब बढ़कर 46 हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि किताबों ने ही दुनिया को सभ्य बनाया है और हमें मनुष्य बनाया है, नहीं तो हम असभ्य ही रहते। इसलिए दूरदर्शन के 'किताबनामा' कार्यक्रम ने लोगों में लेखकों के प्रति दिलचस्पी तो पैदा की है, पर देखना है कि क्या उनकी किताबों में भी लोगों की उतनी ही दिलचस्पी पैदा हुई है?

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