तुम्हारी कामना-परीनहीं बन सकी मैंनहीं हो सकतीतुम्हारे इच्छित रूप-रंग की एक स्त्रीनहीं बन सकती मैंतुम्हारे जैसे तर्क-पुरुषों कीकामना-परीकविता हूँ मैंकामना-परियों सेबहुत-बहुत बड़ी होती हैंकविता-परियाँ तर्क-पुरुषों और कामना-परियों सेअलग होती है
कविता-परियों की सपनीली दुनिया
जिसको नहीं सहेज सकता
कोई तर्क-पुरुष, कोई धन पुरुष!
कामना-परी
नहीं हो सकती मैं
कभी भी ऐसे लोगों के लिए!