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भ्रूूण हत्या पर सुंदर कविता : बेटियां

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संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

बाबुल से आती चिट्ठी पढ़कर  
खुश होती, रोती भी   
बाबुल की यादों को बांटती 
सुनाती सखी-सहेलियों में ।
 
चिट्ठियों को संभाल कर रखती जाती 
बाबुल की जब आती याद 
तो पढ़ कर 
संतोष कर लेती ।
 
डाकिया और चिट्ठी का होता था  
हर पल इंतजार 
वो भी एक जमाना था ।
 
अब ये भी एक जमाना है 
जिनकी बेटियां है 
बस उनके ही 
बाबुल से आता है 
मोबाईल पर 
संदेश ।
 
बाबुल भी क्या करे ?
बेटियां भ्रूण हत्याओं से हो गई 
दुनिया में कम 
इसलिए  
हो गए है अब गुमसुम ।
 
भ्रूण हत्याओं को 
रोकना होगा ताकि बेटियां 
बाबुल की 
यादों को पा सके 
और पा सके 
हर बाबुल अपनी बिटिया का प्यार ।

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