मैं समाजवाद हूं
पूंजीवाद की छाया के तले
आज मैं आबाद हूं
श्रमिक को पिसता हुआ
आम आदमी को कटता हुआ
मरता हुआ, घिसता हुआ
उनके बीच मैं लगाता हूं नारा
सर्वहारा जिंदाबाद है, सर्वहारा जिंदाबाद है
मेरी छाया के तले पूंजीपति कितने पले
लोहिया और नरेन्द्र देव की प्रतिमा पर माला पड़े
फिर भी आम आदमी आज अनाथ और बेरोजगार है
रोता, चीत्कारता, नंगा, भूखा और लाचार है
रह-रहकर पुकारता समाजवाद की जय हो
जिसके सहारे चलकर पूंजीवाद की विजय हो।