महाभारत के एक दृष्टांत में इस बात का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि माघ मास के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है, वहीं पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं।
यही वजह है कि प्राचीन ग्रंथों में नारायण को पाने का सुगम मार्ग माघ मास के पुण्य स्नान को बताया गया है, विशेषकर मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान खास महत्व का माना गया है।
मौनी अमावस्या के दिन क्या करें...
* माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से एक विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है।
* अमावस्या के दिन जप-तप, ध्यान-पूजन करने से विशेष धर्मलाभ प्राप्त होता है।
* मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर आचरण तथा स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।
* शास्त्रों में वर्णित है कि माघ मास में पूजन-अर्चन व नदी स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा इन दिनों नदी में स्नान करने से स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग मिल जाता है।
* जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए।
* इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
* जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।
* अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
* इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
माघ मास की प्रत्येक तिथि पर्व है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के रूप में प्रसिद्ध है। माघ मास में मंगलवार उपासना का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया है जिसके करने से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थों की सहज प्राप्ति तो होती ही साथ ही लौकिक सुख-सुविधाओं का भी अम्बार लग जाता है।