Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्दशी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण त्रयोदशी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गुरु अस्त (पश्चिम), शिव चतुर्दशी
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

रासलीला ही नहीं, अनूठी है मथुरा की रामलीला भी

हमें फॉलो करें रासलीला ही नहीं, अनूठी है मथुरा की रामलीला भी

वार्ता

मथुरा , शुक्रवार, 26 सितम्बर 2014 (16:16 IST)
अपनी रासलीला के लिए देश-दुनिया में मशहूर कन्हैया की नगरी मथुरा में नवरात्रि के दौरान आयोजित होने वाली अनूठी रामलीला का नजारा करने के लिए भी दूरदराज से श्रद्धालु जुटते हैं।
 

 
मान्यता के अनुसार मथुरा की रामलीला जीवंत और सिद्ध होती है और इसका श्रद्धाभाव से दर्शन करने वालों पर रामजी की विशेष कृपा होती है।
 
वैसे तो मथुरा में रासलीला का सालभर मंचन होता रहता है जिसकी वजह से यहां कण-कण में कलाकार बसते हैं, जो रामलीला का भी सजीव मंचन करने में सफल रहते हैं। इनकी मेहनत का नतीजा है कि मथुरा की रामलीला भी लोक प्रतिष्ठित हुई है।
 
रासलीला ही नहीं, मथुरा के कलाकारों की करीब 30 मंडलियां इस समय मुंबई से लेकर चंडीगढ़ तक, नोएडा से लेकर छपरा और मुजफ्फरपुर तक रामलीला का मंचन कर रामभक्ति की सरयू प्रवाहित कर रही हैं।
 
मथुरा की रामलीला मंडलियों की मांग देश के कोने-कोने में बढ़ती जा रही है। यह मंडलियां देश के विभिन्न भागों में हर साल जाती हैं। मांग बढ़ने के कारण हर साल यहां रामलीला की कुछ नई मंडलियां जुड़ जाती हैं।
 
उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री और मथुरा की श्री रामलीला सभा के मंत्री रविकांत गर्ग का कहना है कि यहां की मथुरा में रामलीला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि मंच की मर्यादा पर किसी प्रकार की आंच न आए।
 
हास-परिहास के दौरान भी अगर कहीं पर मर्यादा टूटती है तो उस पात्र को सबके सामने यह अनुभव कराया जाता है कि उसने बहुत बड़ी गलती की है।
 
रामलीला सभा में अध्यक्ष और प्रधानमंत्री रहे गौर शरण सर्राफ का कहना है कि लीला के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि चौपाइयों का वाचन शुद्ध हो। 
 
उन्होंने बताया कि यहां की रामलीला की विभिन्न प्रांतों में इसलिए सबसे अधिक मांग है कि यहां लीला शुरू करने के पहले सभी पात्रों को तालीम दी जाती है। पात्रों का चयन करने में भी काफी सतर्कता बरती जाती है।
 
रामलीला में महिला पात्र कौशल्या, कैकेयी से लेकर शंकर, भरत, दशरथ समेत 15 से अधिक पात्रों की भूमिका निभा चुके शंकरलाल चतुर्वेदी ने बताया कि मथुरा की रामलीला की मांग इसलिए सबसे अधिक है कि यहां के कलाकार रंगमंचीय और मैदानी रामलीला दोनों को बराबर प्रवीणता के साथ प्रस्तुत करते हैं।

मथुरा की रामलीला में रामचरित मानस के साथ-साथ राधेश्याम रामायण, वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण आदि का भी समावेश होता है।
 
'चाचू' के नाम से मशहूर 'रावण' की भूमिका निभा चुके चतुर्वेदी ने बताया कि सभी पात्र अभिनय में प्रवीण होने के साथ मधुर कंठ के भी धनी होते हैं। यहां की रामलीला में रावण आदि पात्रों में मुखौटे का प्रयोग किया जाता है, जो रामलीला को जीवंत बना देता है।
 
रामलीला सभा के पूर्व मंत्री जुगुलकिशोर अग्रवाल ने बताया कि रामलीला की मर्यादा बनाए रखने पर विशेष जोर दिया जाता है तथा महिला पात्रों का प्रस्तुतीकरण भी पुरुष पात्रों द्वारा ही किया जाता है।
 
उन्होंने बताया कि समय के साथ कुछ स्थानों से महिला पात्रों को लाने की मांग उठी थी लेकिन यहां की मंडलियों के संचालकों ने उसे स्वीकार नहीं किया है। 
 
ब्रजभूमि में खपाटा, चाचे, गंगेजी, बैकुंठ दत्त, गोविंदराम नायक, कृष्णा जाली, कन्हैयालाल, कयीयद चौबे, रामनारायण अग्रवाल जैसे महान कलाकार दिए जिन्होंने इस भूमि के गौरव को देश के कोने- कोने तक पहुंचाया।
 
इसके बावजूद प्रदेश या केंद्र सरकार द्वारा यहां की रामलीला को बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया जिससे नई पीढ़ी का आकर्षण इस लोककला के प्रति कम होता जा रहा है। जरूरत यह कि इस लोककला को अक्षुण्ण रखने के लिए इसे किसी न किसी रूप में संरक्षण दिया जाए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi