Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
  • व्रत/दिवस-झलकारी बाई ज., दुर्गादास राठौर दि.
webdunia
Advertiesment

अधिक मास, मल मास, खरमास और पुरुषोत्तम मास का अर्थ और महत्व

हमें फॉलो करें अधिक मास, मल मास, खरमास और पुरुषोत्तम मास का अर्थ और महत्व
, मंगलवार, 18 जुलाई 2023 (12:06 IST)
Adhik Mass 2023 : हम चार शब्द कई बार पढ़ते रहते हैं- अधिकमास, मलमास, खरमास और पुरुषोत्तम। इसका क्या अर्थ है और क्या महत्व है यह जानना जरूरी है। यह भी कि क्या यह सभी एक ही है या कि अलग अलग माह के नाम है। आओ जानते है इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।
 
अधिकमास : हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। अधिक और मास का अर्थ है अतिरिक्त माह।
 
मलमास : इस अधिकमास को मलमास इसलिए कहा जाता है क्योंकि अतिरिक्त होने के कारण यह मास मलिन होता है। इसीलिए इस दौरान सभी पवित्र कर्म वर्जित माने गए हैं। मलिन मानने के कारण ही इस मास का नाम मल मास पड़ गया है।
 
पुरुषोत्तम मास : प्रत्येक देवता के नाम से एक मास है जो उसके अधिपति देव हैं। जैसे श्रावण मास के अधिपति शिवजी है। कार्तिक श्रीहरि विष्णु का है, परंतु अधिकमास या मलमास का कोई भी देव अधिपति नहीं बनना चाहता था तब श्री हरि विष्णु इस माह के अधिपति देव बन गए और उन्होंने इस मल मास को उत्तम मास बना दिया। इसीलिए इस माह को पुरुषोत्तम माह भी कहा जाने लगा। श्रीहरि विष्णु जी का एक नाम पुरुषोत्तम भी है। 
 
पुरुषोत्तम मास महत्व : ऐसा माना जाता है कि अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है। इस माह में की गई साधना या पूजा जल्दी फलित होती है। यह पापों को हरकर मोक्ष देने वाला मास कहा गया है।
webdunia
खरमास : खर मास का संबंध उपरोक्त बताए गए मास या माह से नहीं है। मलमास, अधिकमास या पुरुषोत्तम मास एक ही माह के नाम है और इनका संबंध चंद्र की गति से है जबकि खरमास का संबंध सूर्य की गति से है। हर सौर वर्ष में 2 बार खरमास आते हैं। पहला सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करता है और दूसरा सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करता है तब खरमास प्रारंभ होता है। यह माह 30 दिन का होता है।
 
कारण : जब सूर्य, बृहस्पति की राशि धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब से ही खरमास आरंभ होता है। माना जाता है कि इस दौरान सूर्य की गति मंद पड़ जाती है। पंचाग के अनुसार यह समय सौर पौष मास का होता है। खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है।
 
वर्जित कार्य : खरमास के लगते ही विवाह आदि सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। मान्यता है कि इस माह में मृत्यु आने पर व्यक्ति नरक जाता है।
 
खरमास का महत्व : 
  1. सूर्य के धनु या मीन राशि में प्रवेश के दिन सत्यनारायण की कथा का पाठ करन का खास महत्व है।
  2. इसी के साथ ही तत्पश्चात देवी लक्ष्मी, शिव जी तथा ब्रह्मा जी की आरती करके चरणामृत का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। 
  3. भगवान श्री विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, फल, सुपारी, पंचामृत, तुलसी, मेवा आदि का भोग तैयार किया जाता है।
  4. साथ ही दिन मीठे व्यंजन बनाकर भगवान का भोग लगाया जाता है। 
  5. इस दिन में श्रद्धालु नदी किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इससे मन की शुद्धि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पुरुषोत्तम मास में तुलसी के 10 उपाय, धन और सुख के लिए अवश्य आजमाएं