जानिए क्यों मनाते हैं रंगपंचमी
रंगपंचमी का पौराणिक महत्व
त्रेता युग के प्रारंभ में श्री विष्णु ने धूलि वंदन किया, इसका अर्थ यह है कि 'उस युग में श्री विष्णु ने अलग-अलग तेजोमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया।
त्रेता युग में अवतार निर्मित होने पर उसे तेजोमय, अर्थात विविध रंगों की सहायता से दर्शन रूप में वर्णित किया गया है।
होली ब्रह्मांड का एक तेजोत्सव है। तेजोत्सव से, अर्थात विविध तेजोत्सव तरंगों के भ्रमण से ब्रह्मांड में अनेक रंग आवश्यकता के अनुसार साकार होते हैं तथा संबंधित घटक के कार्य के लिए पूरक व पोषक वातावरण की निर्मित करते हैं।
प्रस्तुत है रंगपंचमी से संबंधित शास्त्रीय जानकारी।