अगर आपके यहाँ पर्याप्त पीने को, रोजमर्रा की सारी जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी नहीं है तो ऐसे में रंगों से रंगी इसी होली को खेलने के बाद उसे छुड़ाने के लिए कितने पानी को बर्बाद करना पड़ेगा। यह सोचना बहुत जरूरी है।
आज महँगाई के युग में घर में रोजमर्रा की आवश्यक चीजों पर महँगाई की भरपूर मार पड़ रही है। रंग सस्ते आते हैं, ऐसी बात नहीं है। पानी भी सस्ता मिलता है, यह भी बात नहीं है। जो बात है वह यह कि होली तो खेल लेंगे लेकिन उसे छुड़ाने के लिए जो पानी लगेगा वह कहाँ से आएगा।
अगर आपको इन सवालों के जवाब नहीं सूझ रहे हों तो उसका एक बढि़या सा आइडिया है मेरे पास- होली खेलो, जरूर खेलो, प्यार से खेलो, रंगों से खेलो लेकिन सिर्फ उन रंगों से जिसमें आपको पानी खर्च ना करना पड़े यानी कि सूखे रंगों की वह होली खेलो जिसमें आपके कपड़ों, आपके तन-बदन पर लगे रंगों को साफ करने में जरा सी भी मशक्कत न करनी पड़े ऐसी होली जो हाथ से झटकाई... और रंग गायब।
तो खेलो होली, पानी भी बचाओ और होली का मजा भी लूट लो। ऐसी लाल गुलाल की होली खेलो और मदमस्त हो जाओ...!