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म्यूजियम देखते-देखते बड़ा हुआ हूँ – बेन स्टीलर

'नाइट एट द म्यूजियम-2' के ‘लॉरी डेल’ से बातचीत

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'20 सेंचुरी फॉक्स' की 'नाइट एट ए म्यूजियम' की सीक्वल फिल्म 'नाइट एट द म्यूजियम 2' से बेन स्टीलर ने एक बार फिर लॉरी डेल के ‍किरदार में वापसी की है। भूत हो चुके ऐतिहासिक चरित्रों की पेंटिंग्स व मूर्तियों के सजीव होने पर उनसे बात करने वाले लॉरी डाले के किरदार में बेन स्टीलर ने एक बार फिर लोगों को अचंभित करने व व्याकुल करने के साथ-साथ रोमांचित किया। इस बार इस किरदार को निभाना उनके लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा।

क्या यह सीक्वल पहले वाली फिल्म से एकदम अलग है?
मैंने भी इस बात का अहसास किया कि इस बार यह ज्यादा बेहतर और रोमांचक है। पहली फिल्म में मैं चीजों की खोज करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा था। मुझे यकीन नहीं था कि यह चीजें जिंदगी में आ सकती हैं जबकि दूसरी फिल्म में लॉरी को पता है कि क्या हो रहा है। ऐसे में जीवंत होने वाले पात्रों के साथ अलग ढंग से बातें करना काफी रोचक रहा, क्योंकि इन पात्रों से मैं (लॉरी) पहले भी परिचित हो चुका था।

इस सीक्वल फिल्म को करते समय किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
मेरा मानना है कि सीक्वल से लोगों की अपेक्षाएँ काफी बढ़ जाती हैं, पर वे सीक्वल में वह सब कुछ नहीं देखना चाहते जो कि वे पहली फिल्म में देख चुके होते हैं। लोग उससे कुछ बेहतर चाहते हैं। मेरा मानना है कि इस बार पटकथा बहुत अच्छी है। इसमें सभी पुराने कलाकारों की वापसी के साथ-साथ कुछ नए कलाकार भी जुड़े।

लॉरी का किरदार किस तरह विकसित हुआ और आगे बढ़ा?
पहली फिल्म में लॉरी ने अपने पुत्र से संबंधों को खत्म करने के लिए सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी स्वीकार की थी। दूसरी फिल्म में वह सही मायनों में सफल है, उसके पास धन है और इस बार उसकी अलग तरह की यात्रा है। बिछुड़ों से जुड़ना उसे खुशी देता है। वह अभी भी अपने दोस्तों से मिलने आता है। म्यूजियम में वह जीवन से कुछ अलग-थलग है और तभी उसके पास जेडिडियाह (ओवन हिल्सन) का फोन आता है, क्योंकि वह नेच्युरल हिस्ट्री म्यूजियम की अपडेटिंग कर रहा है। इसलिए सभी प्रदर्शित चीजें स्मिथसोनियन में भी भेजी जा रही हैं। सभी परेशान हैं, इसलिए अब लॉरी को देखना है कि उनके साथ क्या हो रहा है। लॉरी एक बार फिर अपनी यूनिफार्म में आ जाता है, क्योंकि उसे स्मिथसोनियन के अंदर जाना है और फिर वही रोमांचक यात्रा शुरू होती है।

शूटिंग के दौरान उन पात्रों के साथ शूटिंग करना, जो वहाँ पर नहीं थे, कितना चुनौतीपूर्ण रहा?
वहाँ कुछ है, उसे देखकर प्रतिक्रिया नहीं देनी थी, बल्कि सब कुछ इस तरह करना था जो ‍कि विश्वसनीय और वास्तविक लगे। पहली फिल्म की ‍शूटिंग के दौरान मैंने जो कुछ सीखा था, उसी ने मुझे दूसरी फिल्म की शूटिंग करने में मदद की। इस बार हवा में उड़ना भी नहीं था। हमें तो सिर्फ कल्पना के घोड़े दौड़ाने थे। बाद में तो वह सब एनिमेशन करने वाले ही थे। इसलिए इस फिल्म में सुधार करने के कई मौके थे।

क्या वहाँ कोई रोचक प्राणी था? पिछली बार आपने बंदर के साथ ..
जी हाँ! मुझे लगा कि प्राणियों के साथ फिल्म के अंदर मौज-मस्ती की जानी चाहिए। हमारे पास खास तरह का बंदर था। बंदर के साथ मेरे काम करने में कोई बड़ी बात नहीं लगती होगी। मगर मैंने काफी मजा किया। पहली बार जानवरों के साथ काम करना काफी कुछ जानने लायक था।

हमें पता है कि आपको म्यूजियम बहुत प्रिय है। ऐसे में ऐतिहासिक म्यूजियम की थीम तो आपके लिए 'सोने में सुहागा' वाली बात होगी?
मैं तो म्यूजियम देखते-देखते बड़ा हुआ हूँ। जब मैं बच्चा था, तब न्यूयॉर्क का यह 'नेच्युरल हिस्ट्री म्यूजियम' मेरे लिए बहुत खास था। जब मेरी उम्र सिर्फ पंद्रह वर्ष थी, तब मैं पहली बार वॉशिंगटन डीसी स्थित स्मिथ सोनियन में गया था। उसके बाद दोबारा यहाँ आने का मौका मुझे तब मिला, जब मैं इस फिल्म की शूटिंग करने के लिए पहुँचा।

माना कि सिनेमा मनोरंजन का माध्यम है, पर इस तरह की फिल्में शिक्षाप्रद भी होती हैं। आपको ऐसा नहीं लगता?
आपने बिल्कुल सही फरमाया। मैंने तो निर्देशक से मजाक में कहा भी था कि हमें एक सूचना भी देनी चाहिए कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित ‍नहीं है।' हम ऐतिहासिक पात्रों पर चिपके नहीं हैं, मगर हमें लगता है कि यह फिल्म बच्चों को जरूर पसंद आएगी।

इस फिल्म को दर्शक क्यों देखना चाहेंगे?
देखिए, स्मिथ सोनियन महज एक म्यूजियम नहीं है, वहाँ कई दूसरे तत्व भी हैं। इसमें लोगों को चित्र भी जीवंत होते नजर आएँगे। लोग देखेंगे कि स्पेस म्यूजियम में रॉकेट उड़ रहे हैं। इसमें फन बहुत है।

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क्या अभी भी आपके लिए अभिनय पैशन है?
मैं तो धीरे-धीरे ग्रो कर रहा हूँ। मेरे पिता ने इस क्षेत्र में रहते हुए कई माध्यमों में काम किया। मेरे लिए आज भी अभिनय पैशन है। जिस काम से आपको प्यार न हो, वह काम नहीं करना चाहिए।

क्या हास्य कलाकार होना आपके लिए तकलीफदेह है?
हास्य चरित्र निभाने का अर्थ होता है लोग थिएटर में जाएँ और हँसें। लोग हँसते हैं अथवा नहीं हँसते हैं। लोग सिर्फ आपके अभिनय को देखकर हँसें। इसके लिए मैं हमेशा सिर्फ हास्य चरित्र नहीं निभाना चाहता हूँ, मैं कुछ अलग हटकर भी काम करना चाहता हूँ।

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