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रिचर्ड एटेनबरा : 'गांधी' के लिए हमेशा किए जाएंगे याद

ब्रिटिश सिनेमा के हरफनमौला का अनोखा सफ़र

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1983 की चर्चित फिल्म 'गांधी' के निर्देशक ऑस्कर विजेता रिचर्ड एटेनबरा के निधन के साथ सिनेमा जगत ने एक बड़े सितारे को अलवि़दा कह दिया। एक सफल फिल्म निर्देशक बनने से पहले एटेनबरा ब्रिटेन के वरिष्ठ अभिनेताओं में से एक थे। संयोग की बात है कि अपने जन्मदिन के पांच दिन पहले ही रिचर्ड एटेनबरा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

29 अगस्त, 1923 को इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में जन्मे रिचर्ड को लोग प्यार से डिकी पुकारते थे। उन्होंने चार साल की उम्र में ही एक्टिंग में करियर बनाने की ठान ली थी। 1941 में उन्हें रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामैटिक आर्ट की तरफ से स्कॉलरशिप दी गई।

रिचर्ड की प्रारंभिक शिक्षा लीसेस्टर में हुई जिसके बाद वो लंदन की नाट्य कला रायल अकादमी में अभिनय के गुर सीखने चले गए। एटेनबरा ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत थियेटर से की और वे रॉयल अकादमी में आने से पहले ही लीसेस्टर के लिटिल थिएटर में शो किया करते थे जहां से उनमें कला के प्रति प्रेम जागृत हुआ।

एटेनबरा की फिल्म करियर की शुरुआत 1942 में नोएल कायर/डेविड लीन प्रोडकशन की फिल्म ‘इन विच वि सर्व’ में एक नाविक की भूमिका से हुई जिसके लिए उन्हें फिल्म के क्रेडिट्स में जगह भी नहीं दी गई थी। लेकिन अपने जौहर के दम पर उन्होंने 40 के दशक में कई सफल फिल्मों में काम किया जिसकी बदौलत उन्हें 1946 में छठे सबसे लोकप्रिय ब्रिटिश अभिनेता के रूप में चुना गया। उन्होंने 1943 में ग्राहम ग्रीन के नाटक ब्रायटन रॉक में पिंकी की भूमिका निभाई थी और फिर इसे पर्दे पर भी निभाया।

एटेनबरा को फिल्म 'ब्रायटन रॉक' से पहचान मिली। 1947 में आई इस फिल्म में उनके किरदार का नाम पिंकी ब्राउन था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। एटेनबरा ने अगले 30 सालों तक ब्रिटिश फिल्मों में सराहनीय काम किया जिसमें 50 के दशक की ‘प्राईवेट प्रोगरेस’ और ‘आय एम ऑल राईट’ जैसी सफल कॉमेडी फिल्में भी शामिल हैं।

छह दशकों के अपने लम्बे करियर में उन्होंने ब्राइटन रॉक, द फ्लाइट ऑफ फीनिक्स', 'डॉक्टर डूलिटिल', 'द लॉस्ट वर्ल्ड' के साथ-साथ दूसरे विश्व युद्ध के युद्ध बंदी पर बनी थ्रिलर फिल्म 'द ग्रेट एस्केप' और डायनासोर पर बनी सुपरहिट फ़िल्म 'जुरासिक पार्क' में बतौर अभिनेता उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

रिचर्ड एटेनबरा अभिनेता के बाद एक सफल निर्देशक के तौर पर जाने गए। 1969 में 'ओह वाट ए लवली वॉर' फिल्म से निर्देशन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कई फिल्मों में अपने काम की छाप छोड़ी। वैसे तो उन्होंने कई सफल फ़िल्मों में अभिनेता और निर्देशक के तौर पर काम किया, लेकिन एक निर्देशक के तौर पर उन्हें सबसे अधिक फिल्म 'गांधी' के लिए जाना जाता है।

1982 में उनकी इस ऐतिहासिक फिल्म ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक सहित 8 ऑस्कर पुरस्कार जीतने का गौरव दिलाया था। यही नहीं 18 साल से इस फिल्म पर काम कर रहे एटेनबरा को इसी फिल्म के लिए दो गोल्डन ग्लोब पुरस्कारो से भी नवा़जा गया है।

एटेनबरा ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा था, "सही मायनों में इस पुरस्कार के असली हक़दार गांधी हैं। वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। "उन्होंने कहा, "मुझे उनमें जो सबसे असाधारण बात लगती है वह यह है कि गांधी अब भी प्रेरणा के स्रोत हैं।"

अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए 1976 में एटेनबरा को 'सर' और 1993 में 'लॉर्ड' की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

असल ज़िन्दगी में खुशमिजाज़ और ज़िंदादिल इंसान रहे एटेनबरा अपने करियर के अलावा जन सेवा में भी भागीदारी देते रहे। 1944 में रॉयल एयर फोर्स से भी जुड़े और अपनी सेवाएं दी। वहीं लॉर्ड एटेनबरा का फ़ुटबॉल क्लब चेल्सी एफ़सी के साथ भी लंबा रिश्ता रहा। टीम ने जब 1970 में एफ़ए कप जीता था तब वह क्लब के डायरेक्टर थे और फिर बाद में प्रेसीडेंट भी बने।

1945 में शादी करने वाले एटेनबरा दो बेटियां और एक बेटे के पिता थे। एटनबरो के इस शानदार सफर से साफ है कि उन्होंने अपने जीवन में सफल करियर के अलावा समाज और देश के लिए भी काम किया। फिल्मों के लिए अपने प्रेम के चलते दर्शकों के दिल में खास जगह बनाने वाले एटेनबरा ने 24 अगस्त 2014 को अंतिम सांस ली। उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

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