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क्या हैं ईशान्नोन्मुख भूखंड...

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यदि भूखंड का मुख्य मार्ग ईशान कोण में हो तो उसे ईशान्नोन्मुख भूखण्ड कहते हैं। या जिस भूखंड में मुख्य द्वार की स्थिति ईशान कोण, उत्तरी ईशान या पूर्वी ईशान की ओर हो, चाहे मार्ग भूखण्ड के दो ओर या तीन ओर या चारों ओर ही क्यों न हो, उसे भी ईशान्नोन्मुख भूखंड कहते हैं।

ईशान्नोन्मुख भूखंड के शुभ परिणाम का सीधा प्रभाव गृह स्वामी तथा उसकी संतान पर पड़ता है। अतः गृहस्वामी को शुरू से ही इस
बात का ध्यान रखना चाहिए कि ईशान कोण किसी भी स्थिति में अन्य दिशाओं की अपेक्षा ऊंचा नहीं होना चाहिए।

ईशान कोण किसी भी स्थान से कटा या ढका नहीं होना चाहिए। घर व फैक्टरी के लिए ईशान कोण उत्तम एवं लाभदायक होता है। अष्ट दिशाओं में ईशान्न अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह कोण अति संवेदनशील होता है। ईशान कोण के वास्तु दोषों का कुप्रभाव सबसे अधिक होता है जो शुभ फल को भी नष्ट कर देता है।

प्राचीन वास्तुशास्त्रियों ने ईशान्नोन्मुख भूखण्ड की तुलना कुबेर से की है। नगरी अलकापुरी से की है। यह भूखंड ऐश्वर्य, लाभ, वंश वृद्धि, बुद्धिमानी, संतति एवं अनेक प्रकार के शुभ फल प्रदान करता है।

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