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इस तरह बना देश का पहले ब्लड कॉल सेंटर

हमें फॉलो करें इस तरह बना देश का पहले ब्लड कॉल सेंटर

वृजेन्द्रसिंह झाला

'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो'। कवि दुष्यंत कुमार की ये मशहूर पंक्तियां इंदौर के अशोक नायक पर पूरी तरह खरी उतरती हैं, जिन्होंने रक्तदान की मुहिम को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। अशोक की छोटी सी-शुरुआत अब बड़े ‍अभियान का रूप ले चुकी है और रक्तदान के महायज्ञ में इंदौर ही नहीं देशभर के लोग उनसे जुड़े गए हैं। 
 
इस स्वतंत्रता दिवस पर हम बता रहे हैं भारत के ऐसे 'हीरोज' के बारे में जो न तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं न ही वर्दीधारी सिपाही। ये हैं हमारे आपके जैसे आम लोग, जिन्होंने अपनी पहल से स्वतंत्रता सेनानियों के 'सपनों के भारत' को साकार बनाने की मुहिम छेड़ रखी है। क्या आप भी जानते हैं किसी ऐसे 'हीरो' के बारे में? यदि हां तो हमें फोटो सहित उनकी कहानी [email protected] पर भेजें। चयनित कहानी को आपके नाम सहित वेबदुनिया पर प्रकाशित करेंगे। 
 
इस तरह हुई शुरुआत : नायक बताते हैं कि एक बार मैं अपने नानाजी को इलाज के लिए एमवाय अस्पताल लेकर गया था। वहां मैंने एक महिला को रोते हुए देखा। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि उसे अपने पति के लिए रक्त की जरूरत है, लेकिन कोई डोनर नहीं मिल रहा है। मैंने तत्काल वहां रक्तदान किया और साथ ही तय किया अब इस दिशा में कुछ ऐसा करूंगा कि लोगों को आसानी से रक्त उपलब्ध हो जाए। 
 
परिवार सहित सिलाई का काम करने वाले अशोक बताते हैं शुरुआती दौर में मैंने कुछ रक्तदाताओं को जोड़ा फिर एमवाय अस्पताल जाकर जरूरतमंद मरीजों को खोजता और उन्हें रक्त उपलब्ध करवाता। एक समय था कि लोग आसानी से रक्तदान के लिए तैयार नहीं होते थे, लेकिन धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ी तो लोग आसानी से तैयार होने लगे। 
 
...और बन गया देश का पहला ब्लड कॉल सेंटर : अशोक कहते हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने अपनी इस छोटी सी कोशिश को देश के पहले ब्लड कॉल सेंटर में तब्दील कर दिया। हालांकि उनका कॉल सेंटर उसी किराए के मकान में चलता है, जहां वे रहते भी हैं। उनकी इच्छा है कि उसके लिए अलग स्थान होना चाहिए ताकि वे आसानी से काम कर सकें। आज उनके ग्रुप में देशभर के करीब 20 हजार रक्तदाता शामिल हो गए हैं और अब तक 14000 से ज्यादा रोगियों के लिए रक्तदान करवा चुके हैं। 
 
नायक कहते हैं कि अकेले इंदौर में ही 10 हजार डोनर उनसे जुड़े हुए हैं। इनमें 700 के लगभग तो महिलाएं हैं। महिलाओं के लिए 'रक्तवाहिनी' की व्यवस्था भी है जो उन्हें अस्पताल तक पहुंचाती हैं साथ ही रक्तदान के बाद पुन: उनके निर्धारित स्थान पर छोड़ देती है। हालांकि वे कहते हैं कि ग्रुप बढ़ा तो व्यस्तता भी बढ़ गई और अब वे अपना सिलाई का काम नहीं कर पाते। दिनभर में करीब 200 फोन कॉल सेंटर पर आते हैं। 
 
जागरूकता भी जरूरी : वे कहते हैं कि रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करने का हमारा मकसद काफी हद तक पूरा हो गया है, लेकिन अभी इस दिशा में और भी काम करने की जरूरत है। हमारी मुहिम के साथ इंद्रकुमार, मंगल ढिल्लों आदि फिल्म कलाकार भी जुड़े हैं और रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। हम भी रक्त लेने वाले मरीज के परिजनों को रक्तदान के प्रेरित करते हैं।
 
दिक्कतें भी कम नहीं : नायक कहते हैं कि लोग तो काफी जुड़ गए हैं, लेकिन मुश्किलें भी कम नहीं है। सबसे बड़ी दिक्कत आर्थिक है। इंदौर कलेक्टर की तरफ से हालांकि 7 हजार रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं, लेकिन यह राशि बहुत ही कम है। क्योंकि जागरूकता अभियान चलाने के लिए हमें पैसा खर्च करना पड़ता है। कई स्वयंसेवी संगठनों से भी हमने मदद के लिए संपर्क किया, लेकिन सब जुड़ने से पहले अपना फायदा देखते हैं और हम ऐसी स्थिति में हैं कि किसी को फायदा नहीं दे सकते। 
 
अशोक कहते हैं कि कई बार यह सुनकर भी बड़ा धक्का लगता है कि लोग रक्त के मामले में भी धर्म को बीच ले आते हैं। ऐसे लोग कहते हैं कि डोनर फलां धर्म का नहीं होना चाहिए तो कोई कहता है कि खाने-पीने वाला नहीं चलेगा। ऐसे लोगों को भारी मन से मना करना पड़ता है कि आपको खून नहीं मिल सकता।
 
नायक को इस बात का भी मलाल है कि कई बार सीमा पर जख्मी सुर‍क्षा‍कर्मियों को आसानी से रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता। ऐसे में वे लोगों से अपील करते हैं कि जो लोग हमारे लिए अपना लहू बहा रहे हैं, अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं, उनके लिए हमें रक्तदान जरूर करना चाहिए। 

 
इस स्वतंत्रता दिवस पर हम बता रहे हैं भारत के ऐसे 'हीरोज' के बारे में जो न तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं न ही वर्दीधारी सिपाही। ये हैं हमारे आपके जैसे आम लोग, जिन्होंने अपनी पहल से स्वतंत्रता सेनानियों के 'सपनों के भारत' को साकार बनाने की मुहिम छेड़ रखी है। क्या आप भी जानते हैं किसी ऐसे 'हीरो' के बारे में? यदि हां तो हमें फोटो सहित उनकी कहानी [email protected] पर भेजें। चयनित कहानी को आपके नाम सहित वेबदुनिया पर प्रकाशित करेंगे। 
 

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