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मेरी मकाऊ यात्रा : आलोक मेहता

मकाऊ-हांगकांग डायरी पार्ट: 1

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- आलोक मेहता

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दुनिया के संपन्नतम देशों अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस में भी मकाऊ जैसा विशाल जुआघर और भव्यतम होटल नहीं है। मुझे ऐसे सभी देशों के महँगे से महँगे होटलों में रहने का अवसर मिल चुका है लेकिन चीन के केंद्र शासित छोटे से शहर-राज्य मकाऊ के करीब एक करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र में फैले वेनेशियन होटल जैसा कहीं नहीं मिला।

हांगकांग-बैंकॉक और काठमांडू जैसी दो-तीन जगह दुनिया में हैं जहाँ कुछ दिन सैर-सपाटे या कामकाज के लिए जाने पर वीजा नहीं लेना पड़ता। हवाई अड्डे पर ही प्रवेश के साथ दो हफ्ते रह सकने की अनुमति का ठप्पा लग जाता है। ब्रिटिश राज का अंत 10 साल पहले ही हुआ और सत्ता में चीनी गवर्नर रहते हुए भी हांगकांग हवाई अड्डे से पड़ोसी द्वीप मकाऊ तक कम्युनिस्ट तानाशाही का असर नहीं दिखता।

  पर्यटकों, व्यापारियों, उद्योगपतियों, वकीलों, डॉक्टरों, युवा-बुजुर्ग दंपतियों के लिए मकाऊ स्वर्गिक आनंद की तरह है लेकिन जहाँ दिन-रात जुआ, बाजार, गीत-संगीत हो, वहाँ नींद कब और कितनी आ सकती है। मंदी के दौर की रत्तीभर झलक यहाँ नहीं मिलती।      
यूरोप-अमेरिका के नामी शहरों के हवाई अड्डों पर बेहद अपमानजनक शैली वाली सुरक्षा छानबीन और कुछ हद तक भेदभावपूर्ण व्यवहार देखने को मिल जाता है लेकिन हांगकांग हवाई अड्डे पर दिल्ली-मुंबई से अधिक सहज और शांत भाव से पासपोर्ट की परख करके वीजा का ठप्पा लगा दिया गया। निकासद्वार के बाहर आते ही हमारी ट्रेवल गाइड मिल गईं।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हांगकांग के नजदीकी मकाऊ द्वीप टर्बो बोट फेरी या हेलीकॉप्टर से ही जा सकते हैं। दोनों के स्टेशन आसपास हैं।

हवाई अड्डे से हेलीपैड पहुँचने में 20 मिनट लगे। बिल्कुल अमेरिकी शहर की तरह सड़कें, भूमिगत रास्ते, ऊँची इमारतें। मौसम थोड़ा खराब था। पहले से हेलीकॉप्टर के टिकट का रिजर्वेशन होने से सुविधा हुई। समय से एक घंटे पहले वाले राउंड में जाने की छूट मिल गई। प्रतीक्षाकक्ष किसी पाँच सितारा होटल के स्वागत लाउंज की तरह। मुफ्त केक, बिस्कुट, फल, चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स की सुविधाएँ। हेलीकॉप्टर समुद्र के ऊपर से उड़ने लगा तो हवा और बादलों के झटके लगते रहे। कभी ऊपर, कभी नीचे।
थोड़ा भय भी हुआ- कहीं हवा और बादल इतना गुस्सा न दिखा दें कि हेलीकॉप्टर का संतुलन गड़बड़ाए और सीधे समुद्र में समाधि। बहरहाल, ऐसा कुछ नहीं हुआ। मकाऊ पहुँचने के बाद पायलट ने बताया- 'बस, आप लोगों को पहुँचा दिया। मौसम खराब होने के कारण अब दिन भर कोई हेलीकॉप्टर नहीं जाएगा।' हमें बात समझ में आ गई। तीन दिन बाद भी खतरा नहीं मोल लेना है और वापसी के लिए टर्बो बोट फेरी से समुद्री रास्ता तय करना है।

समुद्री रास्ता इसलिए भी अच्छा है क्योंकि हेलीकॉप्टर का किराया 2,300 हांगकांग डॉलर (करीब 15 हजार रुपए) और यदि तीन दिन के कपड़ों का 15 किलो वजनी बैग है तो लगभग 20 हजार रुपए अलग से दीजिए। आधे घंटे की हवाई यात्रा के आनंद के लिए 50 हजार रुपए शायद वही देना चाहें जो हमारी तरह किसी का मेहमान हो या मकाऊ के विश्वविख्यात जुआघर (कसीनो) में बाजी जीतने-हारने में माहिर।

सचमुच दुनिया के संपन्नतम देशों- अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड में भी इतना विशाल जुआघर और भव्यतम होटल नहीं है। मुझे ऐसे सभी देशों के महँगे से महँगे होटलों में रहने का अवसर मिल चुका है लेकिन चीन के केंद्र शासित इस छोटे से शहर-राज्य के करीब एक करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र में फैले वेनेशियन होटल जैसा कहीं नहीं मिला। होटल में ही बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल, स्टेडियमनुमा हॉल और 5.5 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में भव्यतम जुआघर।

अमेरिका के विख्यात लास वेगास शहर के केसीनो से भी बड़ा। लगभग 15 हजार लोग एक हॉल में बैठकर बाजी लगा रहे हों और बड़ी संख्या में खड़े हुए लोग भी भाग्य आजमा रहे हों। दाँव लगाने के लिए 800 गेंबलिंग टेबल और 3400 स्लाट मशीनें। होटल के ऊपरी हिस्से में दुकानों के बीच वेनिस की तरह झील में नौका विहार का दृश्य अद्भुत है। आठ अरब डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपए की लागत से बने 40 मंजिला होटल के 3000 शानदार कमरों में ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम, बेड रूम जैसी व्यवस्था।

शायद यही कारण है कि पर्यटकों, व्यापारियों, उद्योगपतियों, वकीलों, डॉक्टरों, युवा-बुजुर्ग दंपतियों के लिए मकाऊ स्वर्गिक आनंद की तरह है लेकिन जहाँ दिन-रात जुआ, बाजार, गीत-संगीत हो, वहाँ नींद कब और कितनी आ सकती है। मंदी के दौर की रत्तीभर झलक यहाँ नहीं मिलती। अच्छी बात यह है कि हम जैसे पत्रकार या पर्यटक जुआघर में दस पैसा लगाए बिना दूसरों को लखपति-करोड़पति या दिवालिया होते देखकर मजा लूट सकते हैं।


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