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बैंकॉक यात्रा संस्मरण : चल गया मन पर चातुचाक का जादू

हमें फॉलो करें बैंकॉक यात्रा संस्मरण : चल गया मन पर चातुचाक का जादू
-शुचि कर्णिक
 
ब्रेड की मक्खन लगी दो स्लाइसें और एक कॉफी के हल्के-फुल्के नाश्ते के बाद हम निकल रहे हैं बैंकॉक को खरीदने! जेब में हैं मात्र 5,000 बात (थाईलैंड की मुद्रा)!! मजाक नहीं कर रहे, बैंकॉक के इस लोकप्रिय सप्ताहांत बाजार की तरफ जाने वाला हर शख्स मन में बैंकॉक खरीदने की ख्वाहिश लेकर ही चलता है। जेब में दस बात रखने वाला भी! चलिए पूरा (थाईलैंड) बैंकॉक न सही, लेकिन हर वह कलात्मक वस्तु तो हम खरीद ही सकते हैं, जो इस देश की पहचान बन चुकी है।

ठीक 11 बजे हमारी वैन चातुचाक बाजार की पार्किंग में प्रवेश करती है। और पहुंचते ही ड्राइवर के साथ तय की जाती है लौटते वक्त की स्ट्रेटेजी, जी हां रणनीति! शाम तक इस व्यस्ततम पार्किंग स्थल पर पहुंचना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं। काफी बड़े क्षेत्र में फैले इस विशाल किंतु सुव्यवस्थित पार्किंग क्षेत्र में गाड़ियों को जगह मिलना उतना ही मुश्किल है जितना हमारे अपने शहर इंदौर में।
 
खैर, अब हम अपनी मुख्य मंजिल यानी चातुचाक बाजार का रुख करते हैं। लेकिन ठहरिए, प्रवेश करने से पहले दो बातें ध्यान रखें- कोशिश करें कि आप खाली हाथ जाएं ताकि लौटते वक्त काफी सारा सामान उठा सकें। और थाई गिनती अच्छी तरह याद कर लीजिए, इससे आपको मोलभाव करने में मदद मिलेगी।

चातुचाक बाजार छब्बीस सेक्टरों में बंटा हुआ है, जो कई सुव्यवस्थित गलियों से जुड़ा हुआ है। इन ‍गलियों को सोइ कहा जाता है। इस भूलभुलैया में एक बार फंस जाने पर बाहर निकलना शायद अभिमन्यु के चक्रव्यूह जितना ही दुष्कर कार्य है। 1,12,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला यह बाजार संभवत: विश्व का सबसे बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र है, जहां दस हजार से भी ज्यादा खेरची दुकानें हैं। इनमें खूबसूरत थाई पंखों से लेकर बेंजोरंग आर्ट के कलात्मक पात्र और लकड़ी के फर्नीचर तक सभी कुछ उपलब्ध हैं। हर दुकान में आपको खींच लेने के लिए कुछ न कुछ जरूर है।

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हम प्रवेश करते हैं सोइ 2 से, पत्थरों से बने खूबसूरत कलात्मक गहनों, बांस (कैन) की सजावटी वस्तुओं, नक्काशीदार वुडन बॉक्स और सिरेमिक व धातु की भव्य बौद्ध मूर्तियों की दुकानों से गुजरते हुए फिर से सोइ 2 में आ जाते हैं। डिजाइनर कपड़ों, टी-शर्ट, जीन्स और ब्रांडेड कपड़ों व जूतों की द‍ुकानें बआसानी ग्राहकों को आकर्षित करती है। इतना ही नहीं, कई छोटी-छोटी दुकानों पर कुछ कलाकार हाथों से नाजुक एवं आकर्षक नकली फूल-पत्तियां बनाते मिल जाएंगे। आप चाहें तो उनसे खरीद लें या इसे बनाने का हुनर सीख लें और घर आकर खुद आजमाएं।
 
ब्रेड की दो स्लाइसें आखिर कब तक ईंधन उपलब्ध करवातीं। लंच का समय होने को है। लेकिन इस बाजार का आकर्षण देखिए कि हम भूख को दरकिनार करके लंच को लेमन टी के एक पैक से समेटते हुए चल पड़ते हैं अगली सोइ में। इस बाजार की एक और खासियत है पालतू पशु-पक्षियों की दु‍कानें। जी हां, ये रंगबिरंगी दुकानें हर किसी को एकबारगी रुकने पर मजबूर करती हैं। खूबसूरत पालतू तोते, बतख, मुर्गियों से लेकर मछलियां और कई अन्य पशु-पक्षी माहौल को जीवंत बना देते हैं। और यदि फूल-पत्तियों से प्यार है तो यकीन मानिए असली दिखने वाले इन नकली फूल-पत्तों की दुकान पर आपकी चयन क्षमता की कड़ी परीक्षा होगी। हो सकता है आप अपना आखिरी बचा बात भी यहां कुर्बान कर देना चाहें। इन दुकानों में फूलों को इस कदर ठसाठस भरा गया है कि बस आप फूलों के बीच झांकते ग्राहकों के चेहरे ही देख पाते हैं।

पूरा दिन घूमने के बाद भी इस बाजार की एक ही सोइ देख पाए हैं। दूसरी सोइ में मात्र विंडो शॉपिंग से ही दिल बहलाना पड़ा। यह तो तय कर लिया है कि क्या खरीदना है, पर जो छोड़ना है वो... खैर छोड़िए। एक प्लेट वेज राइस का मजा लेकर अब धड़ल्ले से उन चीजों को खरीदने चलते हैं जिन्हें पिछली दुकानों पर पसंद किया था। जेब में आखिरी 500 बात बचे हैं, जो हमें एयरपोर्ट टैक्स के रूप में अदा करने हैं। काफी कुछ खरीदने के बाद भी मन है कि बच्चन की तर्ज पर कह रहा है कि क्या खरीदूं क्या छोड़ूं?
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छतरियां
 
इस बाजार में कई चीजें खास हैं, सुन्दर कलात्मक पात्र बेंचेरांग। यानी खास तरह से बनाए गए थाई सिरेमिक मर्तबान। इसमें बर्तनों को भट्टी में पकाने से पहले पांच रंगों की सहायता से हाथों से पेंट किया जाता है। इसके अतिरिक्त ब्रांडेड परिधानों की हूबहू नकल का तो ये गढ़ ही माना जाता है। खास हैं रंगबिरंगी छतरियां, जो इस देश की पहचान बन चुकी हैं।
 
ये छतरियां मुख्यत: थाईलैंड के उत्तरी भाग के चेंगमाई स्‍थित बो सेन्ग ग्राम में बनी होती हैं। छतरी बनाने के अनोखेपन के लिए यह गांव देश-विदेश में ख्यात है। सूती, सिल्क और सॉ पेपर पर पेंटिंग बनाकर इन्हें बनाया जाता है। छतरियां बनाने का ये हुनर जीविकोपार्जन के साथ ही आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने और नए रिश्ते स्थापित करने का भी जरिया है। यहां की मुख्य कला के रूप में यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता है जिससे कला का संरक्षण और सामुदायिकता का विकास भी होता है।
 
आमतौर पर थाई परिवार अपने घर का खुला हिस्सा इन्हें बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। इन पर पारंपरिक थाई फूल-पत्तियों वाले मोटिफ बनाए जाते हैं। लाल, पीले और गुलाबी रंग ज्यादा प्रचलित हैं। छतरियों में छोटी-छोटी रंगीन बॉल भी लटकाई जाती है। छतरियों को पूरा बना लेने के बाद जब इन्हें सुखाया जाता है तो हर राहगीर एक बार रुककर इन्हें देखता जरूर है। हर साल जनवरी में बोसेन्ग अम्ब्रेला हैंडीक्राफ्‍ट सेंटर पर एक मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा छतरियां बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। 

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