Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(दशमी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण दशमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-भद्रा, प्रेस स्वतंत्रता दिवस
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज

ओम नमो आइरियाणाम..।

हमें फॉलो करें आचार्यश्री विद्यासागर महाराज
ND

जैन धर्म में आचार्य का दर्जा साधुओं और उपाध्यायों से उपर है। जो पाँच नमस्कार कहें गए हैं उनमें एक नमस्कार आचार्यों को नमन किया गया है। दोनों तरफ से गिनती करने पर तीसरे नंबर पर आचार्यों की उपस्थिति है।

दीक्षा लेकर साधु हो जाना या मुनि हो जाना बहुत आसान है किंतु समस्त शास्त्रों के ज्ञान के बाद व्यक्ति उपाध्याय हो जाता है और कठोर तप करते हुए वह आचार्य पद ग्रहण करता है। ऐसे ही आचार्य हैं आचार्यश्री विद्यासागर। आचार्य जी ने अनुशासन और तप से अपने मन और तन को कुंदन बना रखा है। उनके चेहरे पर तेज झलकता है।

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगाम (बेलगाँव) के ग्राम सदलगा के पास चिक्कोड़ी ग्राम में अश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) के दिन दिगम्बर जैन परिवार में हुआ था। पिता का नाम मल्लपा जी अष्टगे तथा माता श्रीमती जी जो दोनों ही बाद में मुनि और आर्यिका हो गए थे। आचार्य जी के चार भाई और दो बहिन है।

webdunia
ND
मुनि दीक्षा : सन 1967 को आचार्य देशभूषण जी से ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया। महाकवि आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज से आषाढ़ शुक्ल पंचमी 30 जून, 1968 रविवार को अजमेर में उन्होंने दिगंबर पद्धति से मुनि दीक्षा ली।

दिगम्बर जैन संतों में सबसे ऊँचा स्थान आचार्यों का है उन्होंने नसिराबाद में आचार्य ज्ञान सागर द्वारा 22 नवम्बर 1972 को आचार्य का पद ग्रहण किया।

लेखन कार्य : कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत और बांग्ला भाषा के जानकार विद्यासगर जी ने उक्त भाषा में कई शोधकार्य किए तथा अनेकों लेख लिखे हैं। उनका महाकाव्य 'मूकमाटी' सर्वाधिक चर्चित रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi