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प्रेरक प्रसंग : शिवाजी का साहस

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एक बार की बात है। शिवाजी के समक्ष उनके सैनिक किसी गांव के मुखिया को पकड़ कर लाए। मुखिया बड़ी और घनी-घनी मूछों वाला बड़ा ही रसूखदार व्यक्ति था। लेकिन आज उस पर एक विधवा की इज्जत लूटने का आरोप साबित हो चुका था।

यह वाकया उस समय का है, जब शिवाजी मात्र चौदह साल के थे। शिवाजी बड़े ही बहादुर, निडर और न्यायप्रिय थे और खास तौर पर उनके मन में महिलाओं के प्रति असीम सम्मान था।


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उन्होंने तत्काल अपना निर्णय सुनाया और कहा- 'इसके दोनों हाथ और पैर काट दो,' ऐसे जघन्य अपराध के लिए इससे कम कोई सजा नहीं हो सकती।

छत्रपति शिवाजी महाराज जीवनपर्यंत साहसिक कार्य करते रहे और हमेशा गरीब, बेसहारा लोगों को प्रेम और सम्मान देते रहें। ऐसे थे छत्रपति वीर शिवाजी महाराज।

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