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ज्योफ्री बावा : मन का काम किया और नाम हो गया

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आर्किटेक्चर की दुनिया में बहुत देर से कदम रखने के बावजूद, ज्योफ्री मैनिंग बावा फ़्रीबा ने मॉडर्निज्म और इसके संस्कृति पर प्रभाव पर ध्यान दिया। इस दिशा में अपनी रूचि के चलते उन्होंने बेहद अलग और नई स्टाइल की डिजाइन को इजाद किया। उनकी यह  कला सारी दुनिया में सराही गई। बावा शुरू से ही आर्किटेक्ट नहीं थे, बल्कि एक वकील थे। 37 साल की उम्र में उन्हें लगा कि वे कुछ और बहुत बेहतर कर सकते हैं। 
 
मॉडर्न ऑर्किटेक्ट से अच्छी तरह वाकिफ, बावा 'ट्रॉपीकल मॉडर्निज्म' की शुरुआत करने वाले कुछ लोगों में शामिल हैं। ट्रॉपीकल मॉडर्निज्म किसी भी जगह की लोकल संस्कृति को कला को मूर्तरूप देने में शामिल करने के सिद्धांत पर आधारित है। बावा का आर्किटेक्चर, एक दिशा, सोच और विस्तृत कला का जन्म था। बावा ने पारंपरिक ऑर्किटेक्ट को मॉडर्न स्टाइल के साथ जोड़ा। 
 

उनके इस हुनर को जबरदस्त पहचान मिली। उन्हें 2001 का अगा काह्न स्पेशल चेयरमैन अवार्ड मिला और देशामान्या का टाइटल भी। जो उन्हें उनकी काबिलियत के चलते श्रीलंका की सरकार ने दिया था। बावा ने ही श्रीलंका की पार्लियामेंट की इमारत डिजाइन की है। उनके इस प्रोजेक्ट ने उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर प्रसिद्ध कर दिया। 

देशामान्या ज्योफ्री मैनिंग बावा श्रीलंका के आर्किटेक्ट थे। उनका जन्म 23 जुलाई 1919 को सेयलोन (श्रीलंका) में हुआ। उन्होंने करियर की शुरुआत लॉ (कानून) फील्ड में की। बावा के पिता एक अमीर और सफल वकील थे। उन्होंने इंग्लैंड में कई वर्षों तक लॉ में काम किया। परंतु उनकी माता की मृत्यु के बाद, उन्होंने काम छोड़कर दुनिया घूमने की सोची। 
 
1948 से उन्हें आर्किटेक्चर में रूचि होनी शुरू हो गई थी। 37 वर्षीय बावा ने 1956 में लंदन के आर्किटेक्चरल एसोसिएशन से आर्किटेक्ट में डिप्लोमा किया था। 38 वर्ष के होने के बाद उनका आर्किटेक्ट में ग्रेजुएशन पूरा हुआ। अगले ही साल वह, ब्रिटेन के द रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स के एसोसिएट बने।
 
बावा न सिर्फ श्रीलंका के सबसे बेहतरीन आर्किटेक्ट थे बल्कि एशिया में उस समय के गिने-चुने आर्किटेक्ट में से एक थे। उन्हें दुनिया को 'ट्रॉपीकल मॉडर्निज्म' से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है।
 

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