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जूता दिखाएगा रास्ता!

हमें फॉलो करें जूता दिखाएगा रास्ता!
नई दिल्ली , रविवार, 14 सितम्बर 2014 (12:03 IST)
नई दिल्ली। जल्द ही भारतीय बाजार में 'ले चल के' नाम से एक ऐसा जूता मिलने लगेगा, जो न केवल लोगों को कंपन के जरिए रास्ता बताएगा, वरन स्वास्थ्य के लिए चौकस युवाओं को यह भी बताएगा कि उन्होंने कितनी दौड़ लगाई और कितनी कैलारी जलाई।
 
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से लैस यह जूता एक भारतीय कंपनी ने तैयार किया है और सुर्ख लाल रंग का यह जूता इसी महीने के अंत तक बाजारों में मिलने लगेगा। नेत्रहीनों के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है। 
 
हैदराबाद स्थित एलवी प्रसाद आई इंस्टिट्यूट के नेत्र विशेषज्ञ इसका परीक्षण कर रहे हैं। इस परीक्षण से जुड़े एक विशेषज्ञ एंथनी विपिन दास का कहना है कि ये जूते दिशा ज्ञान कराने में सहायक होंगे और नेत्रहीनों की छड़ी के अच्छे सहयोगी बनेंगे।
 
यह जूता 2 युवा इंजीनियरों 30 वर्षीय क्रिस्पियन लारेंस और 28 वर्षीय अनिरुद्ध शर्मा के दिमाग की उपज है। दोनों ने एक छोटे से कमरे में इस पर काम करना शुरू किया और अब उनके पास 50 कारीगर हैं।
 
इस जूते में एक ऐसा ब्लूटूथ ट्रांसरिसीवर फिट किया गया है जिसे निकालकर अलग भी रखा जा सकता है। यह ट्रांसरिसीवर उस व्यक्ति के स्मार्टफोन से जुड़ा होगा जिसमें गूगल नक्शे का ऐप होगा। यह नक्शे के अनुरूप व्यक्ति को कंपन के जरिए बताएगा कि उसे किस दिशा में जाना है। 
 
लारेंस का कहना था कि जैसे कोई आपके दाहिने कंधे पर थपकी देता है तो आप तत्काल दाहिनी तरफ ही देखते हैं। जूते में लगा उपकरण भी इसी नियम के अनुरूप काम करता है।
 
इन दोनों इंजीनियरों का कहना था कि उन्हें अभी तक 25,000 जोड़ी जूतों के लिए एडवांस ऑर्डर मिल चुके हैं। इनकी कीमत 100 या 150 डॉलर के आस-पास होगी। भारतीय रुपए में इसकी कीमत 6 से 9 हजार के बीच रहने की उम्मीद है।
 
इस खास जूतों को लेकर पूरी दुनिया में उत्सुकता है और लोग वेबसाइट के माध्यम से जूतों के लिए ऑर्डर बुक करा रहे हैं। कंपनी से खुदरा विक्रेताओं से कहा है कि वे भारत और अमेरिका में त्योहार के पहले जूतों का स्टॉक जमा कर लें।
 
यदि इन जूतों की मांग 1 लाख जोड़ी से अधिक की आती है तो इसका उत्पादन अगले अप्रैल से चीन में किया जाएगा। दोनों इंजीनियरों की योजना पहले आम उपभोक्ताओं तक इन जूतों को पहुंचाने की है। इन दोनों ने आम जूतों की बजाय इसे आकर्षक स्टाइल के तौर पर रखा है।
 
कंपनी ने सोचा है कि आने वाले समय में आय के एक हिस्से को विकलांगों को कम कीमत पर जूते उपलब्ध कराने पर खर्च किया जाएगा।
 
दुनिया के अनेक विकसित देशों में पहले से इस तरह के जूते उपलब्ध हैं, जो कई तरह की बीमारी से पीड़ित लोगों और अग्निशामक दस्ते के लिए जोखिम के दौरान उन्हें रास्ता दिखाने का काम करते हैं। (वार्ता) 
 

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