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काश! क्लास में कोई मैडम आ जाए!

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कैलगरी (अलबर्टा) , मंगलवार, 28 अगस्त 2007 (12:27 IST)
1970 में राजकपूर की मशहूर फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में राजू (ऋषि कपूर) अपनी टीचर मैरी (सिमी ग्रेवाल) से प्यार कर बैठता है... 2004 में आई फिल्म 'मैं हूँ ना' में शाहरुख खान कॉलेज में स्टूडेंट बनकर आता है और उसे टीचर सुष्मिता सेन से प्यार हो जाता है। दोनों में एक ही समानता है छात्र का टीचर से प्यार।

यह तो बात हुई फिल्मों की, लेकिन एक नए शोध में सामने आया है कि यदि स्कूल या कॉलेज में लड़कों को महिला टीचर पढ़ाए तो वे ज्यादा जल्दी और एकाग्र मन से विषय से संबंधित बातें सीखते हैं।

अलबर्टा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेर्ब कट्ज ने यूनिवर्सिटी में प़ढ़ने वाले 175 ऐसे लड़कों को खोजा, जो पढ़ाई करने में ज्यादा ध्यान नहीं लगाते थे। उनमें से आधे छात्रों को पुरुष शिक्षकों की निगरानी में रखा और आधे को महिला शिक्षिकाओं से प़ढ़ने के लिए भेजा। उन छात्रों को लगातार 10 सप्ताह तक अलग-अलग ग्रुप में शिक्षण दिया गया।

10 सप्ताह बाद परिणाम चौंकाने वाले थे। जो ल़ड़के पुरुष शिक्षकों से सीख रहे थे, वे तौर-तरीके, व्यवहार और सीखने में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं कर पाए, जबकि जो छात्र महिला शिक्षिकाओं के साथ पढ़ाई कर रहे थे, वे पहले से कई गुना ज्यादा सीखे और परीक्षा में उनका प्रदर्शन भी सर्वश्रेष्ठ रहा। इसके बाद दूसरे ग्रुप के छात्रों ने सिर्फ एक ही बात कही, 'काश! हमारी क्लास में भी कोई मैडम आ जाए।'

ऐसा क्यों है : प्रोफेसर हेर्ब कहते हैं कि महिला और पुरुषों में आकर्षण होना स्वाभाविक है और कई मायने में यदि महिलाएँ पुरुष से कुछ कह दें तो वे जल्दी उनकी बात मान लेते हैं और उनका ध्यान भी यहाँ-वहाँ नहीं भटकता। इसलिए जब क्लास में लड़कों के सामने एक महिला टीचर होती है तो वे अपना ध्यान सिर्फ टीचर पर केंद्रित कर लेते हैं और उनकी बात ध्यान से सुनते हैं।

यही कारण है कि वे ज्यादा सीख लेते हैं। जबकि पुरुष टीचरों द्वारा क्लास लिए जाने पर लड़कों के दिमाग में किसी लड़की की तस्वीर चलती रहती है, इसलिए वे पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। प्रो. हेर्ब कहते हैं कि महिला टीचरों से लड़कों को शिक्षा दिलवाने का तरीका गलत नहीं है, बस इसमें शालीनता होना जरूरी है।

दुष्परिणाम भी : प्रो. हेर्ब कहते हैं कि महिला टीचरों द्वारा लड़कों को पढ़ाने या पुरुष टीचरों द्वारा ल़ड़कियों को प़ढ़ाए जाने के कुछ दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं, जैसे शिक्षक-छात्रा या शिक्षिका-छात्र में प्रेम संबंध। ऐसी कुछ घटनाएँ हो चुकी हैं। पिछले दिनों लंदन के एक स्कूल में एक छात्र के अपने से 8 साल बड़ी टीचर से प्रेम संबंध हो गए और दोनों ने शादी कर ली। ऐसे ही अन्य मामले भी सामने आए हैं।

ऑस्ट्रेलिया में ऐसा : ऑस्ट्रेलिया के कुछ प्रांतों में स्कूली छात्रों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए स्कूल-कॉलेजों में उनके रोल मॉडल पुरुषों को लाया जा रहा है। इसके पीछे शिक्षा विशेषज्ञों का तर्क यह है कि रोल मॉडल से प्रेरित होकर छात्र उनके जैसा बनने की कोशिश करेंगे। इस मुद्दे पर प्रो. हेर्ब कहते हैं कि यह तरीका भी ज्यादा कारगर नहीं है। उन्हें रोल मॉडल बुलवाना ही है तो अपोजिट सेक्स वाले भी बुलवा सकते हैं।

पहनावा भी करता है आकर्षित : एक अन्य शोध बताता है कि शिक्षिकाओं का पहनावा भी छात्रों के लिए काफी मायने रखता है। शिक्षिका यदि भ़ड़काऊ और सेक्सी कप़ड़े पहनकर क्लास लेती है तो छात्रों का ध्यान उनकी तरफ ज्यादा जाता है। (नईदुनिया)

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