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भारत-जापान की दोस्ती, चीन को लगी मिर्ची

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बीजिंग , सोमवार, 1 सितम्बर 2014 (10:10 IST)
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बीजिंग। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर चीन और भारत को बांटने का आरोप लगाते हुए चीन के एक सरकारी अखबार ने कहा कि ब्रिक्स के बढ़ने और चीन-भारत सहयोग में विस्तार होने से भारत और जापान के रिश्ते अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।

सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के वेब संस्करण में रविवार को प्रकाशित एक लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के संदर्भ में लिखा है, ब्रिक्स देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) अपना खुद का विकास बैंक खोलने के लिए सहमत हुए हैं जिससे चीन-भारत रणनीतिक सहयोग एक नए ऐतिहासिक काल में बढ़ रहा है।

सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा संचालित अखबार के अनुसार, बीजिंग की सुधरती समुद्री रणनीतियां और चीन-भारत रणनीतिक रिश्तों में विकास से निसंदेह जापान के रणनीतिक संसाधनों, माध्यमों और बाजारों पर दूरगामी असर पड़ेगा। इसलिए चीन और भारत को बांटना आबे के लिए अहम मुद्दा बन गया है।

लेख के मुताबिक, तोक्यो और नयी दिल्ली को अपने सुरक्षा सहयोग को बढ़ाते हुए क्षेत्र में चीन, जापान और अमेरिका के सह-अस्तित्व पर विचार करना चाहिए। इसमें लिखा है, जब आबे ने इस साल की शुरुआत में भारत यात्रा की थी तो दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा समितियों के बीच सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। इस बार वे वायु और समुद्र में अपनी साझेदारी को बढ़ाने के लिए कूटनीति और रक्षा की संभवत: ‘दो और दो’ की प्रणाली शुरू करेंगे। लेख के अनुसार आबे ने भारत यात्रा के दौरान भारत को आधिकारिक विकास सहायता बढ़ाकर 210 अरब येन (2.02 अरब डॉलर) की थी।

अखबार ने कहा कि तोक्यो भारत के बड़े बाजार और बुनियादी परियोजनाओं को बहुत महत्व देता है। हालांकि मोदी जापानी कंपनियों से निर्माण उद्योग में मदद के लिए निवेश आकषिर्त करने के इच्छुक हैं। इसके अनुसार, कुल मिलाकर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में जापान-भारत के रिश्तों के विकास में अनेक अनिश्चयकारी तत्व भी हैं।
(भाषा)

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