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चीन के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए भारत का 'छह सूत्री फॉर्मूला'

हमें फॉलो करें चीन के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए भारत का 'छह सूत्री फॉर्मूला'
बीजिंग , रविवार, 1 फ़रवरी 2015 (20:04 IST)
-शोभना जैन
 
बीजिंग। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज (रविवार को) चीन के साथ सीमा विवाद के जल्द समाधान का रास्ता निकालने की भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए महत्वाकांक्षी 'छह सूत्री फॉर्मूला' पेश किया ताकि दोनों देशों के एक-दूसरे की सभ्यताओं को आपसी ज्ञान से और समृद्ध बनाने के लिए एक 'नई सदी की नींव रखने' और इस सदी को 'एशिया की सदी' बनाने के साझे सपने को पूरा किया जा सके। 
विदेश मंत्री ने आज यहां अपनी पहली चीन यात्रा में 'द्वितीय भारत-चीन मीडिया फोरम' को संबोधित करते हुए चीनी नेतृत्व के साथ औपचारिक बातचीत से पहले दोनों देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ बनाने का यह छह सूत्री खाका पेश किया।
 
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को कार्योन्मुखी रुख अपनाना चाहिए और व्यापक आधार वाले द्विपक्षीय रिश्तों, क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को साथ लेकर इसे एशिया की सदी बनाने के लिए काम करना चाहिए।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह दोनों देश बड़ी अंतरराष्ट्रीय भूमिका निभा रहे हैं, उसी तरह हमारे आपसी संपर्क और वार्ता को भी आगे बढ़ना होगा। एशिया की दो बड़ी सभ्यता होने के लिहाज से साझा हितों के निर्माण के लिए हमारे बीच एक-दूसरे के प्रति भरोसा होना चाहिए।
 
अमेरिका-जापान के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियों के साथ पड़ोसी देश चीन के साथ 'सहज और सामान्य संबंध' बनाने की भारत के प्रयासों के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 4 दिवसीय चीन यात्रा पर कल (शनिवार को) बीजिंग पहुंचीं।
 
आज के इस कार्यक्रम में स्वराज ने दोनों देशों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ किए जाने पर बल देते हुए 'ठोस नतीजे के ध्येय से सहयोग बढ़ाने' का यह खाका पेश किया। इसके तहत दोनों देशों के बीच व्यापक आधार की उभयपक्षीय बातचीत करने, रणनीतिक संवाद बढ़ाने पर जोर देते हुए द्विपक्षीय के साथ क्षेत्रीय तथा वैश्विक समान हितों पर आपसी सहमति बनाने तथा सहयोग के नए क्षेत्र पर काम करने के सुझाव दिए ताकि इस सदी को एशिया की सदी बनाने का साझे सपने को पूरा किया जा सके।
 
इस कार्यक्रम में चीन के साथ संबंध मजबूत किए जाने के लिए अपनी सरकार की पहल की चर्चा करते हुए स्वराज ने चीन के साथ सीमा विवाद के जल्द समाधान का रास्ता निकालने की भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की और कहा कि हमें उम्मीद है कि पिछले कुछ माह में दोनों देशों के संबंधों में जो गति आई है, वह विभिन्न स्तर पर और बढ़ेगी, हम अपने आर्थिक संबंधों को भी नए आयाम तक पहुचाने का प्रयास करेंगे।
 
विदेश मंत्री ने कहा कि आज हमारे संबंध एक ऐसे धरातल पर पहुंच गए हैं, जहां हम उन क्षेत्रों पर चर्चा करते हैं जिसकी कुछ वर्ष पूर्व कल्पना नहीं की जा सकती थी। हमने सीमा सहित रक्षा क्षेत्र में आपसी संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ाने में खासी प्रगति की है जिससे वहां शांति बनाए रखने में मदद मिली, जो कि निश्चय ही हमारे रिश्तों को और मजबूत करने के लिए जरूरी है।
 
दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों की चर्चा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हम भारत में चीनी कंपनियों के लिए व्यवसाय करना सरल बनाएंगे और उम्मीद करते हैं कि चीन में हमारी कंपनियों के विस्तार के लिए भी ऐसा ही किया जाएगा। 
 
कल (सोमवार को) उनकी चीनी नेतृत्व के साथ औपचारिक बातचीत होगी। वे चीनी विदेश मंत्री वांग ई से मुलाकात कर द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर मंत्रणा करेंगी। इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल सितंबर में भारत की यात्रा पर आए थे और विदेश मंत्री वांग ली ने भी पिछले साल मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के फौरन बाद भारत का दौरा किया था।
 
उम्मीद की जा रही है कि इस द्विपक्षीय बातचीत में तिब्बत में कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए वैकल्पिक दूसरे मार्ग को खोलने को लेकर इंतजामों को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
 
बीते साल चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए दूसरा मार्ग खोलने पर सहमति जताई थी। इसी सहमति के चलते सिक्किम के नाथुला दर्रे से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए दूसरा मार्ग अगले कुछ महीने में खुल सकता है। इस मार्ग से जाने में तीर्थयात्रियों को काफी आसानी होगी।
 
दोनों पक्ष इस बातचीत में इस साल के मध्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन दौरे की संभावना भी तलाशेंगे। ऐसी चर्चाएं हैं कि संभवत: प्रधानमंत्री मोदी चीन यात्रा से पहले इसी नए मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन पर जाएं। (वीएनआई)

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