Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चीन की इस परियोजना ने बढ़ाई भारत की चिंता...

हमें फॉलो करें चीन की इस परियोजना ने बढ़ाई भारत की चिंता...
बीजिंग , मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015 (19:29 IST)
बीजिंग। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनी चीन की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना-जम हाइड्रोपावर स्टेशन की सभी छह इकाइयों का समावेश मंगलवार को पावर ग्रिड में कर दिया गया, जबकि इस परियोजना से जल आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न होने की आशंका पर भारत की चिंता बढ़ गई है।
चीन के वुहान में स्थित प्रमुख चीनी पनबिजली ठेकेदार ‘चाइना गेझोउबा ग्रुप’ ने सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ को बताया कि केन्द्र की सभी इकाइयों का समावेश पावर ग्रिड में करा दिया गया है और इससे डेढ़ अरब डॉलर के केन्द्र ने संचालन करना शुरू कर दिया।
 
शन्नान प्रिफेक्चर के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है।
 
इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केन्द्र के रूप में जाना जाता है। यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी।
 
कंपनी ने कहा, यह मध्य तिब्बत की बिजली की किल्लत दूर करेगी और बिजली की कमी वाले क्षेत्र में विकास लाएगी। यह मध्य तिब्बत का एक अहम ऊर्जा आधार भी है। शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा है कि जब गर्मियों में बिजली प्रचुर होगी तो उसके एक हिस्से का पारेषण पड़ोस के छिंगहाई प्रांत में किया जाएगा।
 
इस परियोजना की पहली इकाई ने पिछले साल नवंबर में अपना संचालन शुरू कर दिया था। अतीत की रिपोर्टों में बताया गया था कि जांगमू के अलावा चीन कुछ और बांध बना रहा है। इस बीच, चीन यह कहकर भारत की चिंताएं दूर करने की कोशिश कर रहा है कि ये ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजनाएं हैं जिनका डिजाइन पानी के भंडारण के लिए नहीं किया गया है।
 
इन बांधों ने भारत की ये चिंताएं भी बढ़ाई हैं कि संघर्ष के समय चीन पानी छोड़ सकता है, जिससे बाढ़ आने का गंभीर खतरा होगा।
 
ब्रह्मपुत्र पर भारत के एक अंतर-मंत्रालय विशेषज्ञ समूह (आईएमईजी) ने 2013 में कहा था कि ये बांध ऊपरी इलाके में बनाए जा रहे हैं। समूह ने निचले इलाकों में जल के प्रवाह पर इनके प्रभाव के मद्देनजर इन पर निगरानी का आह्वान किया था।
 
समूह ने रेखांकित किया था कि तीन बांध- जिएशू, जांगमू और जियाचा एक-दूसरे से 25 किलोमीटर के दायरे में और भारतीय सीमा से 550 किलोमीटर की दूरी पर हैं।
 
वर्ष 2013 में बनी सहमति के अनुसार, चीनी पक्ष ब्रह्मपुत्र की बाढ़ के आंकड़े जून से अक्‍टूबर के बजाय मई से अक्‍टूबर के दौरान प्रदान करने में सहमत हुआ था। 2008 और 2010 के नदी जल करारों में जून से अक्‍टूबर के दौरान आंकड़े प्रदान करने का प्रावधान था।
 
भारत को चिंता है कि अगर पानी बाधित किया गया तो ब्रह्मपुत्र नदी की परियोजनाएं, खास तौर पर अरुणाचल प्रदेश की अपर सियांग और लोअर सुहांस्री परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi