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दाऊद के प्रत्यर्पण में अमेरिका करेगा मदद!

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वॉशिंगटन , बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (12:54 IST)
वॉशिंगटन। वर्ष 1993 में हुए श्रृंखलाबद्ध मुंबई विस्फोटों के मुख्य षड्यंत्रकारी दाऊद इब्राहीम के प्रत्यर्पण के लिए भारत अमेरिका से मदद मांग सकता है, क्योंकि दोनों देशों ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, डी कंपनी, अल-कायदा और हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठनों के आतंकियों एवं आपराधिक नेटवर्कों के सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने के लिए ‘संयुक्त एवं संगठित प्रयास’ करने का संकल्प जताया है।
 
दोनों देशों ने अपना यह संकल्प व्हाइट हाउस में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच हुई शिखर वार्ताओं के बाद जारी अमेरिका भारत संयुक्त बयान में जताया है।
 
यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिकी वित्त विभाग ने पाकिस्तान के दो आतंकी समूहों से जुड़े लोगों और नेटवर्कों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
 
घरेलू सुरक्षा सहयोग से जुड़े मुद्दों के संबंध में बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, डी कंपनी और हक्कानी जैसे नेटवर्कों को मिलने वाला आर्थिक एवं सभी तरह का समर्थन रोकने के लिए संयुक्त एवं संगठित प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया है जिसमें आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों एवं आपराधिक नेटवर्कों को नष्ट करना भी शामिल है।
 
'डी-कंपनी' शब्द का इस्तेमाल दरअसल अपराध जगत के सरगना एवं वर्ष 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के मुख्य षड्यंत्रकारी दाऊद इब्राहीम के संदर्भ में किया जाता है। मुंबई में 12 मार्च 1993 को विभिन्न स्थानों पर हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने महानगर को दहलाकर रख दिया था। इन विस्फोटों में 250 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे। 
 
यह बयान इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दाऊद पाकिस्तान में है और अफगानिस्तान की सीमा पर सक्रिय हक्कानी नेटवर्क भारत एवं अमेरिका दोनों के हितों के खिलाफ अपनी गतिविधियां चला रहा है। ऐसा माना जाता है कि दाऊद का अक्सर दुबई और कराची आना-जाना होता है।
 
ऐसे संकेत थे कि भारत दाऊद पर भारत में मुकदमा चलाने के लिए उसके प्रत्यर्पण के संबंध में अमेरिका से मदद मांगेगा।
 
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने साझा बयान में दोनों देशों द्वारा आतंकी एवं आपराधिक तत्वों से मुकाबला करने के संकल्प से इतर दाऊद के मुद्दे पर विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया।
 
मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने इस संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि समझदार के लिए इशारा ही काफी है। (भाषा) 
 

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