बीजिंग। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 'एक-चीन' नीति (वन-चाइना पॉलिसी) को जारी रखने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जाने को चीनी विश्लेषकों ने 'बचकाना' करार दिया और कहा कि ट्रंप ने द्विपक्षीय संबंधों पर सतही ज्ञान होने की वजह से ऐसा बयान दिया है।
विश्लेषकों के मुताबिक बीजिंग को चाहिए कि वह 'एक-चीन' नीति को जारी रखने के लिए ट्रंप पर दबाव बनाए। बहरहाल, ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए गए एक साक्षात्कार में जो टिप्पणी की है उस पर चीन की आधिकारिक प्रतिक्रिया आना अभी बाकी है। विश्लेषकों ने कहा है कि उनकी टिप्पणी बचकानी है और चीन-अमेरिका संबंधों पर सतही ज्ञान के चलते उन्होंने यह बयान दिया है।
चीन के आधिकारिक मीडिया 'ग्लोबल टाइम्स' के वेब संस्करण ने एक चीनी विश्लेषक को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि ट्रंप द्वारा 'वन-चाइना' पॉलिसी को जारी रखने पर सवाल उठाए जाने के बाद चीन को चाहिए कि वह ट्रंप को चीन-अमेरिका के संबंधों के महत्व और जटिलता के बारे में समझाए और उन्हें बताए कि वे कुछ रूढ़िवादी ताकतों की बातों में न आएं।
ट्रंप ने साक्षात्कार में सवाल उठाया था कि जब तक बीजिंग व्यापार और अन्य मुद्दों पर रियायतें नहीं देता तब तक क्या अमेरिका को 'वन चाइना पॉलिसी' को जारी रखना चाहिए? अपनी टिप्पणी में ट्रंप ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि चीन मुझ पर हुक्म चलाए।
हाल ही में ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ फोन पर बातचीत की थी। इससे पहले चीन के राजनीतिक विरोध की वजह से दशकों से किसी अमेरिकी नेता और किसी ताइवानी नेता के बीच बातचीत नहीं हुई थी।
ट्रंप ने फॉक्स न्यूज के साथ रविवार को एक साक्षात्कार में कहा कि मैं नहीं जानता कि जब तक व्यापार समेत अन्य मुद्दों पर चीन के साथ एक समझौता नहीं हो जाता, तब तक क्यों हमें वन-चाइना पॉलिसी से बंधे रहना चाहिए तथा चीन मुद्रा नीति, उत्तर कोरिया और इसके परमाणु हथियारों और विवादित दक्षिण चीन सागर में तनाव जैसे मुद्दों पर अमेरिका के साथ सहयोग नहीं कर रहा है।
ट्रंप ने कहा कि साई का फोन नहीं उठाना अनुचित होता। वह चुनाव जीतने पर उन्हें (ट्रंप को) बधाई देना चाहती थीं। चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हैडोंग ने ट्रंप की ऐसी टिप्पणी के लिए उनकी अनुभवहीनता को जिम्मेदार ठहराया।
ली ने कहा कि ट्रंप राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों जैसे मुद्दों से निपटने के मामले में नौसिखिया हैं। वे व्यवसाय और व्यापार के अलावा संवेदनशील और जटिल मुद्दों पर अनुभवहीन हैं। 'ग्लोबल टाइम्स' ने ली को यह कहते हुए उद्धृत किया कि चीन-अमेरिका संबंधों, विशेष रूप से ताइवान के सवाल पर उनका ज्ञान बहुत ही सतही है जिसकी वजह से जो वे पसंद करते हैं, वह कहते हैं।
एक व्यवसायी के तौर पर वे सोचते हैं कि व्यापार के मामले में इस तरह की बात सामान्य है लेकिन उन्हें यह एहसास नहीं है कि ताइवान का सवाल चीन के लिए व्यापार का मुद्दा नहीं है। ताइवान का सवाल समझौते का मुद्दा नहीं है। (भाषा)