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अमेरिका फर्स्ट से अमेरिका को कितना लाभ?

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, बुधवार, 26 जुलाई 2017 (15:08 IST)
न्यूयॉर्क। संकीर्ण नजरिए से तैयार की गई 'अमेरिका पहले' की नीति देश की वृद्धि के लिए प्रतिरोधी दृष्टिकोण का निर्माण करेगी, क्योंकि यह भारत जैसे सहयोगी देशों से मिलने वाले अवसरों के विपरीत है।
 
यह बात अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों की पूर्व सहयोगी विदेश मंत्री निशा देसाई बिसवाल ने कही। वे यहां एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सहयोग से आयोजित किए गए एक वैश्विक व्यापार मंच कार्यक्रम में बोल रही थीं।
 
उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश नीति हमेशा अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देती रही है लेकिन यह हमेशा राष्ट्रीय हित को हरसंभव तौर पर विस्तारित करने के लिए काम करती रही है। 
 
निशा से पूछा गया था कि क्या 'अमेरिका पहले' की नीति वैश्वीकरण विरोधी है और आर्थिक दृष्टि से भारत के साथ संबंधों को खराब कर सकती है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बहुत से क्षेत्रों मसलन अवसंरचना, ऊर्जा, तकनीक और उपभोक्ता सामान के लिए भारत एक बड़ा अवसर बनने जा रहा है तो 'अमेरिका पहले' की नीति ऐसी होनी चाहिए, जो व्यापक हो और अमेरिकी हितों के बढ़ावे के साथ ही अन्य देशों के साथ सहयोग और वृद्धि की बात करती हो।
 
उन्होंने कहा कि संकीर्णता के साथ तैयार की गई 'अमेरिका पहले' की नीति दुनियाभर में हमारे दोस्तों और सहयोगियों से मिलने वाले अवसरों के विपरीत जाएगी और प्रतिरोधी दृष्टिकोण का निर्माण करेगी। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नीतियों के केंद्र में 'अमेरिका पहले' को मुख्य आधार बनाया है, जो अमेरिकी हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा के अनुरूप है। (भाषा)

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