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भारतीय वेबसाइट स्टॉप एसिड अटैक्स ने जीता बॉब्स पुरस्कार

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, गुरुवार, 5 मई 2016 (19:34 IST)
डॉयचे वेले के प्रतिष्ठित बॉब्स पुरस्कारों के विजेताओं की घोषणा की गई है। अंतरराष्ट्रीय जूरी ने भारत के "स्टॉप एसिड अटैक्स" की मुहिम को चुना। इसके अलावा एक अन्य भारतीय वेबसाइट चौपाल ने यूजर्स पुरस्कार जीता है। अन्य विजेता हैं बांग्लादेश, ईरान और जर्मनी से।
 
डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग ने बॉब्स पुरस्कारों की घोषणा के मौके पर कहा, "अभिव्यक्ति की आजादी के लिहाज से 2016 अच्छा साल साबित नहीं हो रहा है। सभी महाद्वीपों में अभिव्यक्ति पर किसी ना किसी रूप में रोक लगाई जा रही है।"
 
बॉब्स यानि बेस्ट ऑफ ऑनलाइन एक्टिविज्म। अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जर्मन राजधानी बर्लिन में  बॉब्स के विजेताओं के नाम घोषित किए गए. अंतरराष्ट्रीय जूरी ने14 भाषाओं के ऑनलाइन प्रोजेक्टों पर चर्चा की। चार मुख्य श्रेणियों के विजेता इस प्रकार हैं -
 
सोशल चेंज
स्टॉप एसिड अटैक्स - भारत
 
स्टॉप एसिड अटैक्स (एसएए) एक ऐसा अभियान है जो एसिड हिंसा से पीड़ित महिलाओं को लड़ने का हौसला देता है। एसएए पीड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का और उन्हें समाज में सम्मानजनक जगह दिलवाने के लिए काम करता है।

अभियान का मकसद है कि वे महिलाएं, जिन्हें तेजाब हमले से जूझना पड़ा है, वे खुद को अकेला और कमजोर महसूस न करें। इन महिलाओं के लिए नई जिंदगी की राहें आसान करने में एसएए अपना योगदान दे रहा है। 
 
भारत की ओर से जूरी सदस्य अभिनंदन सेखरी ने इस बारे में कहा, "एसिड हमलों को रोकना एक बहुत मुश्किल लड़ाई है। इन लोगों ने एसिड हमले की पीड़ितों की ओर समाज का दृष्टिकोण बदला है। ना केवल वे पीड़ितों को साथ लाने में सफल रहे हैं, बल्कि उन्होंने कानून में भी बदलाव करवाए हैं."
 
सिटीजन जर्नलिज्म
रेजर्स एज – बांग्लादेश
पिछले एक साल से बांग्लादेश में ब्लॉगर लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं। रेजर्स एज नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म इन्हीं हत्याओं और ब्लॉगरों की दिक्कतों को दर्शाती है। फिल्म दिखाती है कि कैसे कट्टरपंथियों की हिम्मत लगातार बढ़ती चली जा रही है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
 
बांग्लादेश की जूरी सदस्य रफीदा अहमद खुद पिछले साल की विजेता हैं। उनके पति अविजीत रॉय की 2015 में हत्या कर दी गयी थी। रफीदा कहती हैं, "लगातार दो साल तक बांग्लादेश के प्रोजेक्ट का जीतना दिखाता है कि देश में हालात अब भी सुधरे नहीं हैं, बल्कि बिगड़ते ही चले जा रहे हैं पिछले पांच हफ्तों में चार लोगों की हत्या की जा चुकी है। धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ता, लेखक, ब्लॉगर, प्रोफेसर और अल्पसंख्यक अब कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं।"
 
टेक फॉर गुड 
गेरशाद - ईरान
गेरशाद एक स्मार्टफोन ऐप है जो ईरान में सक्रिय "मॉरल पुलिस" के खिलाफ काम करता है। ईरान में लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं, मिसाल के तौर पर महिलाओं पर वहां हिजाब के बिना घर से बाहर निकलने पर रोक है। नियंत्रण रखने के लिए सड़कों पर अधिकारी तैनात होते हैं। इस ऐप के जरिये लोग उनकी लोकेशन को मार्क करते हैं ताकि दूसरों को उस रास्ते से बचाया जा सके। 
 
ऐप चलाने वाले अपनी पहचान सामने नहीं लाना चाहते, लेकिन ईरान की जूरी सदस्य गुलनाज एसफानदियारी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार हमारा ऐप इस्तेमाल करने वालों को प्रोत्साहित करेगा. बेशक इससे ईरान के उन लोगों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, जो इस मॉरल पुलिस से बचने की कोशिश में रहते हैं। गेरशाद के माध्यम से हम ईरान में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।"
 
 
 
आर्ट्स एंड कल्चर
सेंट्रुम फ्युर पोलिटिशे शोएनहाइट – जर्मनी
अंग्रेजी में इसका मतलब है सेंटर फॉर पॉलिटिकल ब्यूटी. यह संस्था कई तरह के प्रदर्शन आयोजित करती है और बदलाव की मांग करती है। 'मुर्दे आ रहे हैं' नाम के एक प्रदर्शन के साथ इस संगठन ने यूरोप की शरणार्थी नीति की निंदा की और लोगों का ध्यान उन शरणार्थियों की ओर खींचा जो यूरोप आने की कोशिश में अपनी जान गंवा रहे हैं। जर्मनी की जूरी सदस्य काथारीना नोकुन ने कहा, "ये लोग राजनीतिक तौर पर असहज और मुश्किल मुद्दे उठाते हैं और नागरिकों ताथ राजनीतिज्ञों का ध्यान खींचते हैं. वे इस बात से घबराते नहीं कि लोग चिढ़ेंगे।"
 
यूजर अवॉर्ड:
चौपाल 
चौपाल विचारों को समर्पित एक ओपन प्लैटफॉर्म हैं। मसालेदार पत्रकारिता से हटकर यहां एक ऐसा मंच उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है जहां समसामयिक मसलों पर गंभीरता से विचार व्यक्त किए जा सकें।


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