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इसलिए किया जाता है लड़कियों का खतना...

हमें फॉलो करें इसलिए किया जाता है लड़कियों का खतना...
, सोमवार, 6 जुलाई 2015 (14:19 IST)
मात्र एक रेजर ब्लेड से युवा लड़कियों के जननांगों का खतना (फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन-एफजीएम) करने वाली महिलाओं का कहना है कि 'अगर लड़कियों का खतना नहीं किया जाता है तो वे आदमियों के पीछे भागने वाली वेश्याएं बन जाती हैं।'
 
मेलऑनलाइन के लेखकों ने केन्या में यह काम करने वाली दो महिलाओं से इस काम के बारे में उनके विचार जाने। इस समय केन्या में खतने का सीजन होता है और पश्चिमी देशों में बसे अफ्रीकी परिवार भी अपनी बेटियों को इस प्रथा का पालन करने के लिए यहां भेजते हैं।  
 
अफ्रीकी देशों के जनजातीय मुखियाओं का दावा है कि जिन लड़कियों का खतना नहीं होता है, वे अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाती हैं। इस प्रथा की शिकार करीब सात लाख लड़कियां यूरोप में रहती हैं। ब्रिटेन में ऐसी लड़कियों की संख्या 1 लाख 40 हजार हैं और फ्रांस में भी एक लाख लड़कियां रहती हैं।
 
अफ्रीका के कई देशों इस प्रथा को अवैध करार दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद इस प्रथा के समर्थकों, प्रचारकों का कहना है कि इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि पश्चिमी देशों ने नेता उन्हें ऐसा करने से रोक सकेंगे। इस प्रथा का विरोध करने वाली एक सुपरमॉडल ने साहस का परिचय देते हुए बताया कि इस प्रथा के अनुरूप उनके जननांग को काटकर सिल दिए जाने का उन पर जीवन भर प्रभाव रहा। वे इसे 'बाल उत्पीड़न' और 'लैंगिकवादी' प्रथा करार देती हैं।
 
मेलऑनलाइन के लिए कीसी, केन्या से‍ निक फैग ने आधी अंधी और मुंह में केवल दो दांत रखने वाली अन्ना-मूरा एनदेगे से बातचीत की जो कि इस काम को सत्तर से ज्यादा वर्षों से कर रही हैं। वे पहले लड़कियों के यौनांगों को काटने के लिए छह इंच लम्बी ऐसी कील का उपयोग करती थीं जिसे पत्थर पर घिसकर चौड़ा व तेज बनाया जाता था।
 
कील को चौड़ा करने का काम वे अपनी झोपड़ी में करती थीं। पर 86 वर्षीय एनदेगे अपनी एक सहायक एग्नेस केरूबा के साथ मिलकर यह काम करती हैं। ये केन्या के गांवों, कस्बों, शहरों से लेकर समूचे अफ्रीका में अपनी सेवाएं देती हैं। वे मध्यपूर्व में बसी उन जनजातियों के लिए यह काम करती हैं जोकि इस बर्बर प्रथा से चिपके हुए हैं।
 
गर्मियों में स्कूलों की छुट्‍टियों के दौरान उनका सीजन आता है जब परिवार अपनी लड़कियों को एफजीएम के लिए भेजते हैं। एनदेगे का कहना है कि यह इसलिए किया जाता है ताकि लड़की हमेशा ही अपने पति की वफादार बनी रहे। इसके बाद लड़कियां सेक्स केवल बच्चे पैदा करने के लिए ही करती हैं।
 
वेलफेयर ग्रुप्स का कहना है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में रहने वाली दस लाख से ज्यादा लड़कियां, महिलाएं इससे प्रभावित हुई हैं। अमेरिका में भी करीब 5 लाख महिलाएं इससे प्रभावित हैं। कटर एग्नेस केरूबा (62) कहती है कि हमारे शरीर में दो तरह का खून होता है, अच्छा और बुरा। इस तरह के ऑपरेशन के बाद खराब खून शरीर से निकल जाता है और केवल अच्छा खून बना रहता है। 
 
स्कूल की छुट्‍टियों को 'कटिंग सीजन' के नाम से जाना जाता है। गर्मियों में यूरोप, अमेरिका और अन्य क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लड़कियों को एफजीएम के लिए अफ्रीका में लाया जाता है। अनुमान है कि प्रति वर्ष दुनिया में तीस लाख नई एफजीएम की शिकार पैदा होती हैं।
 
केरूबा का कहना है कि खतना एक महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे क्रिसमस की तरह मनाया जाता है। यह केन्या की कीसी जनजाति की तरह से अफ्रीका और मध्यपूर्व की जनजातियों का प्रमुख समारोह होता है। यह लोगों को जोड़ता है और इसके साथ खाना, पीना और नाच-गाना होता है।' यहां कुछ समुदायों में माना जाता है कि जब तक लड़की का खतना नहीं होता है तब तक वह गर्भवती नहीं हो सकती है।
 
केन्या की एंटी एफजीएम प्रचारक एस्टर ओगेटो का कहना है कि लड़कियां चाहे कहीं भी रह रही हों, समुदाय के नेता उनके परिवार पर इतना दबाव डालते हैं कि उन्हें दबाव में झुकना ही पड़ता है। खतना न होने पर लड़कियों और परिजनों को समाज से बाहर किए जाने का खतरा होता है और उन्हें बहुत बुरा भला कहा जाता है।
 
केन्या की कीसी जनजाति के एक सांस्कृतिक नेता डिक्सियन किबाजेंडिया का कहना है कि अगर हम इस प्रथा को बंद कर देते हैं तो हम पश्चिम के गुलाम बन जाएंगे। अफ्रीका में संस्कृति ही सब कुछ है अगर आप संस्कृति से दूर हो जाते हैं तो आप अपने समुदाय के भी नहीं रहते हैं। भले ही इसके चलते लाखों लड़कियों को भयानक शारीरिक और मानसिक पीड़ा उठानी पड़े। 


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