Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चीन ने ठुकराई डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश

हमें फॉलो करें चीन ने ठुकराई डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश
, शुक्रवार, 29 मई 2020 (18:16 IST)
बीजिंग। चीन ने भारत के साथ सीमा संबंधी मौजूदा गतिरोध समाप्त करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव को शुक्रवार को खारिज करते हुए कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेद सुलझाने के लिए ‘तीसरे पक्ष’ के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
 
ट्रम्प ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में बुधवार को मध्यस्थता करने की अचानक पेशकश की और कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं।
 
अमेरिका के इस प्रस्ताव पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों देश मौजूदा सैन्य गतिरोध सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष का ‘हस्तक्षेप’ नहीं चाहते हैं। झाओ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में ट्रम्प के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर कहा कि चीन और भारत के बीच सीमा संबंधी तंत्र और संवाद माध्यम हैं।
 
उन्होंने कहा कि हम वार्ता एवं विचार-विमर्श के जरिए समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाने में सक्षम हैं। हमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। ट्रम्प ने बुधवार को एक ट्वीट किया था कि हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है।
 
उन्होंने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान गुरुवार को फिर से अपनी यह पेशकश दोहराई। इस ट्वीट पर एक सवाल के जवाब में ट्रम्प ने कहा कि अगर मदद के लिए बुलाया गया तो मैं मध्यस्थता करूंगा। अगर उन्हें लगता है कि इससे मदद मिलेगी तो मैं यह करूंगा।
 
ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश पर बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने बुधवार को कहा था कि वह सीमा संबंधी विवाद शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए चीन से बातचीत कर रहा है।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ऑनलाइन माध्यम से पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि हम इसके शांतिपूर्वक समाधान के लिए चीनी पक्ष के साथ बात कर रहे हैं। इससे पहले, ट्रम्प ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नई दिल्ली ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
 
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि चीन-भारत सीमा के मामले पर चीन का रुख स्पष्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। झाओ ने कहा कि हम दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी अहम सहमति को लागू कर रहे हैं, द्विपक्षीय समझौतों का पालन कर रहे हैं, क्षेत्रीय सम्प्रभुता की रक्षा करने और सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा, स्थिरता एवं शांति को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
 
उन्होंने अपने पहले दिए बयान को दोहराते हुए कहा कि चीन-भारत सीमा क्षेत्र में अब समग्र स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है।
 
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों की सेनाओं ने हाल ही में सैन्य निर्माण किए हैं। इससे गतिरोध की दो अलग-अलग घटनाओं के दो सप्ताह बाद भी दोनों के बीच तनाव बढ़ने तथा दोनों के रुख में सख्ती का स्पष्ट संकेत मिलता है।
 
भारत ने कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में अवरोध पैदा कर रही है। भारत ने चीन की इस दलील को भी पूरी तरह खारिज कर दिया है कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ा।
 
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गई हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत ही जिम्मेदाराना रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा था कि भारत एलएसी पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय सैनिक सीमा प्रबंधन को लेकर बहुत जिम्मेदार रुख अपनाते हैं।
 
उन्होंने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न हो सकने वाली स्थितियों का वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तरों पर तंत्र स्थापित किए हैं और इन माध्यमों से चर्चा जारी रहती है।
 
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद है और चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है जबकि भारत का स्पष्ट रुख है कि यह देश का अभिन्न हिस्सा है। (भाषा)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

UP में 1483 विशेष ट्रेनों से आ चुके हैं 20 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक