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मलाला का सवाल, आतंकवाद पर क्यों चुप है पाकिस्तानी नेता..

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नई दिल्ली , रविवार, 4 अक्टूबर 2015 (00:05 IST)
नई दिल्ली। आतंकवाद पर पाकिस्तानी नेताओं की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाते हुए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित 18 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक मलाला यूसुफजई ने शनिवार को कहा कि वह एक दिन अपने देश का प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद रखती हैं।
मलाला ने भारत की यात्रा करने की अपनी इच्छा का भी इजहार किया। मलाला को भारत के बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ पिछले साल शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
 
मलाला ने इंडिया टुडे टीवी चैनल को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि वह जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष करती रहेंगी। उन्होंने पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को अपने लिए बड़ी प्रेरणा बताया।
 
मलाला पर पाकिस्तान की अशांत स्वात घाटी में शिक्षा को प्रोत्साहन देने को लेकर जानलेवा आतंकवादी हमला हुआ था।
 
मलाला ने कहा, अनेक लोगों ने इस बात से इंकार किया कि कोई महिला नेता हो सकती है। उन्होंने (भुट्टो) दिखाया है कि कोई महिला नेता हो सकती है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह बेनजीर की तरह पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनना चाहेंगी तो उन्होंने कहा, अगर लोग मतदान करें तो, लेकिन मेरा सपना लोगों को शिक्षा हासिल करने में मदद करना है।
 
हालांकि, मलाला ने कहा, समाज में परिवर्तन लाने के कई रास्ते हैं। उन्होंने कहा, अगर स्वात घाटी में आतंकवाद है तो वे (पाकिस्तानी नेतृत्व) क्यों चुप हैं। अगर लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है या महिलाओं को सड़कों पर कोड़े मारे जा रहे हैं तो वे क्यों चुप हैं। 
 
उन्होंने कहा कि भारत के बारे में अच्छी बात है कि लोग इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि उनका मजहब क्या है या वह कहां की रहने वाली हैं। उन्होंने कहा कि वे बॉलीवुड की बड़ी प्रशंसक हैं और भारत और पाकिस्तान के बीच शांति का संदेश देने के लिए सलमान खान अभिनीत ‘बजरंगी भाईजान’ की तारीफ की।
 
उन्होंने कहा, मैं आश्चर्यचकित और खुश हूं कि भारत के लोग मुझे काफी प्रेम करते हैं, लोग इस बात को जानकर मेरे साथ खड़े होते हैं कि मैं अच्छा काम कर रही हूं। यह भारत के बारे में अच्छी बात है और मैं भारत की यात्रा करना चाहूंगी। मैं दिल्ली, मुंबई और अन्य स्थानों को देखना चाहूंगी। 
 
मलाला के जीवन पर एक फिल्म बन रही है। उन्होंने कहा कि वे महिलाओं को अपनी पहचान के अधिकार और लड़कियों को शिक्षा से वंचित किए जाने को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं।
 
अक्‍टूबर 2012 में अपने ऊपर हुए हमले के दिन को याद करते हुए उन्होंने कहा, जब मुझे निशाना बनाया गया था, मैं थोड़ी डरी हुई थी, लेकिन उस दिन मैंने महसूस किया कि दुनिया की कोई भी ताकत शिक्षा के लिए मेरी लड़ाई को रोक नहीं सकती है। शिक्षा के लिए लड़ाई जारी रहेगी। 
 
मलाला ने कहा कि उन्हें दुख है कि उनकी कुछ सहेलियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है और उनकी शादी कर दी गई है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा, उनमें से कुछ अब भी पढ़ना जारी रखेंगी। 
 
उन्होंने कहा, हां, मैं अपनी सहेलियों से खासतौर पर स्काइप और फोन पर बात करती हूं और वो मुझे वहां (स्वात) क्या हो रहा है इसकी जानकारी देती रहती हैं। आतंकवाद के खिलाफ भावी पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा में निवेश की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, हमें हथियार के रूप में किताब और कलम चाहिए और हमारी आवाज सबसे महत्वपूर्ण चीज है। (भाषा)

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